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    पिंपरी: पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation) की ओर से पिंपले गुरव स्थित रामकृष्ण मंगल कार्यालय से नर्मदा गार्डन तक खराब दर्जे की सड़क निर्माण के लिए प्रभारी कार्यकारी अभियंता, एक उपअभियंता और दो अवर अभियंताओं के खिलाफ विभागीय जांच (Departmental Inquiry) कराई जाएगी। इस संबंध में पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका कमिश्नर शेखर सिंह (Commissioner Shekhar Singh) ने आदेश दिया है। इसके अनुसार, कार्यकारी अभियंता अनिल राउत, उपअभियंता विजयसिंह भोंसले, अवर अभियंता सचिन सनप, निर्माण विभाग के प्रभारी सचिन मगर के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।

    पिंपलेगुरव में रामकृष्ण मंगल कार्यालय से लेकर नर्मदा गार्डन रोड तक के घटिया कार्य की जांच के लिए नौ मई को एक सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी ने स्थल का निरीक्षण किया। इसमें पाया कि निविदा मानक से कम गुणवत्ता के कंक्रीट का उपयोग सड़क में दरार का एक प्रमुख कारण था। कंसल्टेंट, महानगरपालिका के अधिकारियों ने ठेकेदार को बार-बार ग्रोथ कटिंग करने के निर्देश दिए थे, लेकिन ठेकेदार ने इसे अनसुना कर दिया। ठेकेदार द्वारा दोबारा किए गए कंक्रीट हिस्से का क्षेत्रफल 41.16 वर्ग मीटर है। इसकी कीमत 2 लाख 76 हजार 200 रुपए थी। चूंकि ठेकेदार पांच साल की अवधि के लिए सड़क के रखरखाव और मरम्मत के लिए जिम्मेदार है, इसलिए उसने अपने खर्च पर कंक्रीट का काम फिर से कराया। हालांकि, ठोस काम समय से होता है तो नागरिकों के क्रोध का सामना नहीं करना पड़ता। काम पूरा होने के 8 महीने बाद दोबारा काम करना पड़ा। इस वजह से दिक्कतें पेश आई हैं।

    जारी किया गया था कारण बताओ नोटिस

    पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका के शहर अभियंता ने इस मामले की जिम्मेदारी तय कर राउत, भोसले, सनप, मगर के नाम भेजे थे, इसके चलते उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। उनके द्वारा किए गए खुलासे संयुक्त नहीं हैं। जांच कमेटी के निष्कर्ष गंभीर हैं। यह स्पष्ट है कि इन अधिकारियों ने ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ काम किए बिना अक्षम्य देरी और उपेक्षा की है। सड़क कार्य पर प्रभावी नियंत्रण और पर्यवेक्षण नहीं होने के कारण ठेकेदार ने घटिया कार्य कर महानगरपालिका को आर्थिक रूप से चूना लगाया। अतः विभागप्रमुख की राय, एक सदस्यीय समिति द्वारा दर्ज किए गए निष्कर्ष और इन अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत किए गए खुलासे संयुक्त नहीं होने के कारण कमिश्नर शेखर सिंह ने इन चारों अभियंताओं की विभागीय जांच प्रारम्भ करने के आदेश दिया हैं।