Maval Lok Sabha Seat

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पिंपरी: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मावल लोकसभा सीट से महाविकास आघाडी और महायुति के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा हो चुकी है। दोनों ही उम्मीदवार उद्योगनगरी पिंपरी-चिंचवड के रहने वाले हैं। ऐसे में यह साफ हो गया है कि इस चुनाव में महायुति और महाविकास आघाडी के उम्मीदवार के बीच ही सीधी लड़ाई होगी। ऐसे में लोकसभा चुनाव में किस भूमिपुत्र को जनता गले लगाएगी, यह देखना दिचलस्प होगा।

2009 में मैदान में थे 14 उम्मीदवार
मौजूदा तस्वीर 2009 के लोकसभा चुनाव की तरह नजर आ रही है। ऐसे में इस सीट से कौन बाजी मारेगा इसे लेकर फिलहाल अनुमान लगाना काफी कठिन है। निर्वाचन क्षेत्र की परिसीमन के बाद अस्तित्व में आए मावल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में 2009 में पहली बार चुनाव हुआ था। उस वक्त 9 निर्दलीय के साथ 14 उम्मीदवार मैदान में थे। बहुजन समाज पार्टी, प्रबुद्ध रिपब्लिकन पार्टी, राष्ट्रीय समाज पार्टी ने भी चुनाव में भाग्य आजमाया था, लेकिन उनका कुछ खास असर देखने को नहीं मिला। असली लड़ाई कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस व मित्र दल (आघाडी) और भारतीय जनता पार्टी, शिवसेना व मित्र दलों का गठबंधन महायुती के बीच थी। इस सीधी लड़ाई में आघाडी से राष्ट्रवादी कांग्रेस के आजम पानसरे और युती के शिवसेना के गजानन बाबर उम्मीदवार थे। दोनों ही पिंपरी-चिंचवड शहर के रहने वाले थे।

दोनों ही पिंचिंकर और भूमिपुत्र
दोनों के पास नगरेसवक पद का अनुभव था। राजनीति के साथ सामाजिक कार्यों में सक्रिय थे। इस बार भी सीधी लड़ाई की तस्वीर उभर कर सामने आ रही है। क्योंकि महाविकास आघाडी के शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे पार्टी ने संजोग वाघेरे को और महायुति के शिवसेना के श्रीरंग बारणे को उम्मीदवार बनाया है। दोनों ही पिंपरी-चिंचवड के रहने वाले और भूमिपुत्र हैं। पूर्व में नगरसेवक थे। वाघेरे पूर्व महापौर थे। नगरसेवक पद व राष्ट्रवादी कांग्रेस में रहते शहराध्यक्ष पद का लंबा अनुभव है, लेकिन लोकसभा चुनाव लड़‍ने के लिए नये है। बारणे ने दो बार चुनाव लड़कर जीत दर्ज कर चुके है। पांच बार नगरसेवक और दस वर्ष के सांसदी का उनके पास लंबा अनुभव है। इस बार वे तीसरी बार किस्मत आजमा रहे हैं। पिछले दो चुनाव और सांसद के तौर पर काम करने की वजह से विधानसभा की भौगोलिक स्थिति का उन्हें अच्छा अंदाजा है। वाघेरे नये हैं फिर भी कार्यकर्ताओं से संपर्क कर गांव-गांव जा रहे है। कुछ भागों में उनके रिलेटिव रहते हैं। ऐसे में इन दोनों के बीच लड़ाई का मतलब 2009 के उम्मीदवार की तरह का संघर्ष देखने को मिलेगा।

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2014 में हुआ था त्रिकोणीय मुकाबला
लोकसभा 2014 के चुनाव में महायुती के शिवसेना ने श्रीरंग बारणे और आघाडी के राष्ट्रवादी कांग्रेस ने राहुल नार्वेकर को उम्मीदवार बनाया था। चिंचवड के निर्दलीय विधायक लक्ष्मण जगताप को शेतकरी कामगार पार्टी ने उम्मीदवार बनाया था। साथ ही आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, जनता दल (संयुक्त), बहुजन मुक्ति पार्टी, प्रबुद्ध रिपब्लिकन पार्टी के साथ 11 निर्दलीय सहित 19 उम्मीदवार मैदान में थे। इस चुनाव में बारणे विजयी हुए थे। जगताप दूसरे और नार्वेकर तीसरे नंबर पर रहे थे।

2019 में हुई थी सीधी टक्कर
2019 के लोकसभा चुनाव में महायुती के शिवसेना ने श्रीरंग बारणे को फिर से उम्मीदवार बनाया था। उनके खिलाफ आघाडी के राष्ट्रवादी कांग्रेस ने पार्थ पवार को उम्मीदवार बनाया था। इसके अलावा वंचित बहुजन आघाडी, बहुजन समाज पार्टी, क्रांतिकारी जयहिंद सेना, बहुजन मुक्ति पार्टी, भारत का आंबेडकरवादी पार्टी, भारतीय प्रजा सुराज्य पार्टी, बहुजन रिपब्लिकन सोशॅलिस्ट पार्टी, भारतीय नवजवान सेना और निर्दलीय 11 सहित 22 उम्मीदवार मैदान में थे। इसमें बारणे ने जीत दर्ज की थी।