NCP MP Supriya Sule appeals to restore restaurant business in Maharashtra
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    पुणे: पुणे (Pune) में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने बढ़ती महंगाई के खिलाफ जोरदार आंदोलन किया है। इस दौरान एनसीपी (NCP) कार्यकर्ताओं ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। एनसीपी नेताओं ने कहा कि मौजूदा केंद्र की सत्ता में काबिज बीजेपी सरकार (BJP Government) को सोते हुए से जगाने के लिए वासुदेव को बुलाना होगा।

    एनसीपी के शहर अध्यक्ष प्रशांत जगताप ने आरोप लगाया कि राज्य के कुछ नेता लाउडस्पीकर की राजनीति कर महत्वपूर्ण महंगाई के मुद्दे को किनारे लगा रहे है। 

    एनसीपी की महाआरती 

    एनसीपी की तरफ से महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए के लिए महाआरती भी की गई। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने बीजेपी का उल्टा झंडा भी लगा रखा था। राज ठाकरे की नकल करते हुए एक पदाधिकारी ने हनुमान जी की स्तुति की। इस मौके पर सांसद सुप्रिया सुले भी उपस्थित थीं। उन्होंने केंद्र सरकार को सद्बुद्धि देने की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण विषयों को नजरअंदाज कर केंद्र सरकार सोने में लगी है। उन्हें जगाने का काम हम कर रहे हैं।

    महिलाएं फिर से खाली सिलेंडर नहीं भरवा पा रही

    सुप्रिया सुले ने कहा कि महंगाई का मुद्दा गंभीर बनता जा रहा है। उज्ज्वला योजना के तहत केंद्र ने महिलाओं को जो मुफ्त गैस कनेक्शन दिए थे, उसके बाद महंगाई की वजह से महिलाएं खाली सिलेंडर वापस नहीं भरवा पा रहीं हैं, जबकि सरकार की तरफ से यह झांसा दिया गया था कि सिलेंडर मुफ्त दिया जाएगा। सब्सिडी सरेंडर करने की नौबत आ गई है। इसके लिए गरीब महिलाओं को पैसे देकर मदद करने की उम्मीद थी, महिलाओं ने प्रधानमंत्री पर भरोसा किया पर वह भरोसा भी जुमला साबित हुआ।

    जब भूख लगती है तब धान उगाया जाता है

     

    इस मौके पर सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि महंगाई बढ़ने पर उन्होंने यह मुद्दा हमेशा संसद में उठाया। उन्हें यह हमेशा नजर आता था, लेकिन केंद्र सरकार को यह कभी नजर नहीं आया। महाराष्ट्र सरकार ने सीएनजी में एक हजार करोड़ की सब्सिडी देकर दरों को काम करने की कोशिश की। केंद्र सरकार को भी ऐसा कुछ निर्णय लेना चाहिए था। वर्ष 2013 की तुलना में मौजूदा समय में मंहगाई बढ़कर चार गुना तक पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा कि उन्हें सुषमा बहन (स्व.सुषमा स्वराज) का वह भाषण याद आ रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि आंकड़ों से पेट नहीं भरता। जब भूख लगती है तो धान नहीं उगाए जाते है। उन्होंने कहा कि उन्हें यह सवाल मौजूदा केंद्र सरकार से पूछना है।