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    पिंपरी: पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation ) के मौजूदा नगरसेवकों (Corporators) का कार्यकाल 13 मार्च यानी रविवार को समाप्त हो जाएगा। शनिवार और रविवार को महानगरपालिका में लगातार दो दिन की छुट्टी होने के कारण शुक्रवार को ही नगरसेवकों ने ‘सेंडऑफ’  (Sendoff) के अवसर पर महानगरपालिका मुख्यालय में फोटो सेशन (Photo Session) किया गया।

    अधिकारियों, नगरसेवकों, कमिश्नर ने महानगरपालिका मुख्यालय के प्रवेश द्वार के सामने फोटो खिंचवाई। पदाधिकारियों ने हॉल में कुर्सियों पर कर्मचारियों के साथ फोटो खिंचवाई। पूरे महानगरपालिका में बिदाई का माहौल रहा। नगरसेवकों ने एक-दूसरे की सुखद वापसी की कामना की।

     महानगरपालिका मुख्यालय के प्रवेश द्वार के सामने फोटो खिंचवाई

    महानगरपालिका के पदाधिकारियों और नगरसेवकों का कार्यकाल 13 मार्च तक है। महानगरपालिका कमिश्नर राजेश पाटिल 14 मार्च से प्रशासक होंगे। 13 मार्च की शाम को महापौर, उपमहापौर, सदन के नेता, विपक्ष के नेता, विषय समिति के अध्यक्ष, वार्ड समिति के अध्यक्ष को महानगरपालिका के वाहन वापस करने होंगे। उनके महानगरपालिका मुख्यालय, क्षेत्रीय कार्यालय की लॉबी पर भी ताला लगा रहेगा। शनिवार और रविवार को महानगरपालिका का अवकाश होने के कारण शुक्रवार को ही महानगरपालिका में नगरसेवक बड़ी संख्या में मौजूद रहे। महापौर ऊषा ढोरे, उपमहापौर हिरानानी घुले, कमिश्नर राजेश पाटील, सत्तारुढ़ पक्षनेता नामदेव ढाके, स्थायी समिति अध्यक्ष नितीन लांडगे के साथ बीजेपी नगरसेवकों ने महानगरपालिका के प्रवेश द्वार पर फ़ोटो सेशन किया और आगामी चुनाव में पुनः जीतकर महानगरपालिका में फिर मिलने की कामना की। 

    13 मार्च मध्यरात्रि को नगरसेवकों का कार्यकाल समाप्त हो रहा 

    अपने वार्डों के आखिरी काम निपटाने के लिए नगरसेवकों में दौड़धूप मची रही। सभी अधिकारियों के पास जा रहे थे, चुनाव लड़ने के लिए विभिन्न विभागों के अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने की होड़ चल रही थी। कुल मिलाकर कल महानगरपालिका में बिदाई का माहौल रहा। नगरसेवकों में महानगरपालिका चुनाव की तारीख को लेकर भी चर्चा थी। 13 मार्च को मध्यरात्रि को नगरसेवकों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। इससे पहले चुनाव प्रक्रिया पूरी करनी थी। हालांकि, कोरोना और ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण के कारण चुनाव समय पर नहीं हो सके। ओबीसी समुदाय के राजनीतिक संरक्षण पर पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इसलिए राज्य सरकार ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव नहीं कराने पर अड़ी है। अब सरकार ने वार्ड गठन का अधिकार अपने हाथ में ले लिया है। ऐसे में यह कहना संभव नहीं है कि महानगरपालिका के चुनाव कब होंगे।