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    पुणे: पुणे यूनिवर्सिटी स्क्वायर (Pune University Square) पर एक महीने पहले परीक्षण के आधार पर लागू की गई वैकल्पिक यातायात व्यवस्था तब तक लागू रहेगी, जब तक कि एकीकृत दो मंजिला फ्लाईओवर (Two Storey Flyover) का निर्माण पूरा नहीं हो जाता। 

    सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय (Savitribai Phule Pune University) के मुख्य प्रवेश द्वार के सामने जंक्शन के माध्यम से यातायात प्रवाह (Traffic Diversion) के साथ ही  पाषाण, बाणेर, औंध और गणेशखिंड रोड से जुड़ी सड़कों  (जो सामूहिक रूप से शहर में सबसे भारी यातायात में से एक है) पर पिछले वर्ष 24 दिसंबर से एकीकृत परियोजना, एक दो मंजिला फ्लाइओवर, ग्रेड सेपरेटर और एक अंडरपास के निर्माण के प्रस्तावित कार्य के निर्माण के लिए प्रायोगिक तौर पर  बदलाव किया गया था।

    क्षेत्र से रोजाना लगभग 2.8 लाख वाहन गुजरते हैं

    गणेशखिंड रोड पर दो फ्लाईओवर (एक पुणे विश्वविद्यालय जंक्शन पर और दूसरा ई-स्क्वायर के सामने) को ध्वस्त कर दिया गया। पुणे महानगरपालिका (पीएमसी) ने 426 करोड़ रुपए की एकीकृत बुनियादी ढांचा योजना को मंजूरी दी। पीएमसी के साथ संयुक्त रूप से एलिवेटेड मेट्रो रेल कॉरिडोर के लिए सबसे ऊपरी मंजिल के साथ दो मंजिला फ्लाइओवर का निर्माण, हिंजवड़ी से शिवाजी नगर और पहली मंजिल को वाहनों के यातायात के लिए जोड़ने का निर्णय लिया गया। पहले फ्लाइओवर को पुणे मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट एथॉरिटी (पीएमआरडीए) द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था। पुणे शहर ट्रैफिक डीसीपी राहुल श्रीरामे के मुताबिक, क्षेत्र से रोजाना लगभग 2.8 लाख वाहन गुजरते हैं। इस जंक्शन के लिए ट्रैफिक सिग्नल साइकिल की अवधि पहले 170 सेकंड थी।

    लंबे सिग्नल के कारण ट्रैफिक जाम

    इससे औंध से यातायात प्रवाह को एक बार लाल होने के 170 सेकंड बाद हरी झंडी मिलती थी और इससे पीक आवर्स के दौरान ट्रैफिक जाम हो जाता था। अब इस प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजना के आने से वाहनों के पास और भी कम जगह होगी। उन्होंने कहा कि यातायात प्रवाह के विस्तृत विश्लेषण के बाद ही यह वैकल्पिक यातायात प्रवाह योजना लाई गई। जबकि यात्रियों के एक वर्ग को सर्कुलर ट्रैफिक रूट के कारण थोड़ी अधिक दूरी तय करनी होगी। इस व्यवस्था ने निश्चित रूप से ट्रैफिक जाम को कम कर दिया है और सिग्नल साईकल को आधे से भी कम कर दिया गया है। श्रीराम ने कहा कि ट्रायल के इन परिणामों के साथ ही वे काम पूरा होने तक इस वैकल्पिक प्रवाह को जारी रखने की योजना बना रहे हैं।

    प्रायोगिक तौर पर बदला गया था रूट

    यातायात नियंत्रण शाखा के अधिकारियों ने कहा कि इसमें शामिल एजेंसियों द्वारा 30 महीने की समय सीमा दी गई है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि महामारी सहित विभिन्न कारकों को देखते हुए 35 से 40 महीनों के भीतर काम पूरा हो जायेगा। मिली जानकारी के मुताबिक, स्थानिक निवासियों ने भी शुरुआती आशंकाओं के बाद सर्कुलर ट्रैफिक प्लान पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। ट्रैफिक पुलिस लोगों से फीडबैक लेना जारी रखेगी ताकि यात्रा को सुरक्षित और परेशानी मुक्त बनाया जा सके।