अशोक जैन ने महाराष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भिवंडी महानगरपालिका के खिलाफ जनहित याचिका दायर की

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    भिवंडी : सामाजिक कार्यकर्ता अशोक जैन (Ashok Jain) ने महाराष्ट्र मानवाधिकार आयोग (Maharashtra Human Rights Commission) मुंबई में जनहित याचिका दायर (PIL Filed) कर मुख्य सचिव अर्बन डेवलपमेंट मंत्रालय और भिवंडी निजामपुर शहर महानगरपालिका के प्रशासक और कमिश्नर विजय कुमार म्हसाल को भेजे लिखित शिकायत में बताया है कि भिवंडी एशिया का पावरलूम मैनचेस्टर माना जाता था। आजकल भिवंडी शहर को गड्ढों, कचरे, अवैध निर्माणों और सबसे भ्रष्ट महानगरपालिका में से एक माना जाता है। बुनियादी ढांचे की कमी के कारण शहर का पावरलूम व्यवसाय पूरी तरह से बर्बाद हो गया है। महानगरपालिका के भ्रष्ट अधिकारियों की लापरवाही के कारण भिवंडी शहर के निवासी एक तरह से जैसे नरक में निवास करने को विवश है। 

    गौरतलब हो कि मानवाधिकार आयोग में शहर के नागरिकों की मूलभूत सस्याओं को लेकर दाखिल याचिका में समाजसेवी अशोक जैन ने आरोप लगाया है कि भिवंडी शहर के निवासियों को कोई बुनियादी सुविधा नहीं दी जा रही है। भिवंडी शहर की लगभग सभी सड़कें बड़े-बड़े गड्ढों से ढकी हुई हैं। सड़क पर बड़े गड्ढे के कारण हुए हादसों में कई लोगों की जान जा चुकी है। महानगरपालिका प्रशासन ने कचरे के उचित निपटान का प्रबंधन नहीं किया है और इसलिए कचरा और कचरा सड़कों और विभिन्न सार्वजनिक स्थानों के पास फैल गया है, जिससे भिवंडी के निवासियों को कई गंभीर संक्रमण और बीमारियां हो रही हैं। 

    पूरी सड़क पर गंदा पानी फैला रहता है

    सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत बहुत बड़ी धनराशि प्रदान की लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि भिवंडी के निवासियों के स्वच्छता और कल्याण के लिए इस तरह के किसी फंड का उपयोग नहीं किया गया है। नाले और जल निकासी व्यवस्था को साफ करने की भी जहमत नहीं उठाई है और इसमें से कई पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हैं। भिवंडी के विभिन्न इलाकों में नाले पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। नालों की दशा ठीक नहीं होने से बरसात में शहर में चारों तरफ जल प्रलय की स्थिति बन जाती है। शहर स्थित अधिसंख्य क्षेत्रों में नाली और जल निकासी की सुविधा प्रदान नहीं की गई है। गंदा पानी पूरी तरह सड़क पर फैल जाता है। समूचे शहर में रोशनी की व्यवस्था महानगरपालिका प्रशासन अब तक करने में असफल रहा है। सीवरेज प्लांट नहीं होने की वजह से नागरिकों को मल मूत्र निकासी की सुविधा भी नसीब नहीं है। समुचित तरीके से मल निकासी सुविधा न होने से मल मूत्र शहर की अधिसंख्य सड़कों के किनारे जमा देखा जाता है। 

    शहर हमेशा ट्रैफिक जाम की चपेट में 

    शहर के प्रमुख मार्गों के किनारे अधिसंख्य मांस की दुकानें खुली होने से तमाम लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं। बारंबार शिकायत के बाद भी महानगरपालिका प्रशासन मांस विक्रेताओं पर कोई कार्यवाही नहीं करता है। शहर की निरंतर बढ़ती आबादी के अनुरूप ट्रैफिक समस्या का समाधान न होने से शहर हमेशा जाम की चपेट में घिरा रहता है। लाखों रुपए खर्च कर सिग्नल प्रणाली बंद है। महानगरपालिका प्रशासन नागरिकों की मूलभूत समस्याओं के निदान पर कोई गंभीरता नहीं दिखा रहा है। महानगरपालिका प्रशासन द्वारा मूलभूत सुविधाओं के नाम पर वसूला जा रहा टैक्स भी अनाप-शनाप कार्यों में खर्च कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। 

    महानगरपालिका प्रशासन में हड़कंप मच

    भिवंडी शहर में गंदगी का साम्राज्य सहित सड़कों पर गड्ढों का अंबार होने से नागरिक न तो स्वच्छ हवा ले पाते हैं और न ठीक से आवागमन सुविधा का लाभ उठा पा रहे है। याचिकाकर्ता अशोक जैन ने मानवाधिकार आयोग के न्यायाधीश से लाखों भिवंडीकरों के हितार्थ उचित कार्यवाही और महानगरपालिका प्रशासन को कड़क आदेश दिए जाने की मांग की है। भिवंडी शहर के इतिहास में जन समस्याओं को लेकर मानवाधिकार आयोग में समाजसेवी अशोक जैन द्वारा दाखिल की गई जनहित याचिका से भिवंडीकरों को अच्छे दिन आने की आस जगी है। मानवाधिकार आयोग में दाखिल जनहित याचिका को लेकर महानगरपालिका प्रशासन में हड़कंप मच गया है।