Greenery returning to Mumbai from 'Miyawaki', dense forest ready at 24 places
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    ठाणे: मानसून के दौरान शहर में सड़कों के किनारे विदेशी प्रजातियों के पेड़ों के गिरने की संख्या में वृद्धि होने का मामला सामने आने लगा है। जिसे संज्ञान में लेते हुए ठाणे महानगरपालिका कमिश्नर अभिजीत बांगर (Thane Municipal Commissioner Abhijit Bangar) ने शहर में मियावाकी तकनीक (Miyawaki Technique) के माध्यम से देशी प्रजातियों के पेड़ों का वृक्षारोपण (Plantation) करने का फैसला किया है। ठाणे महानगरपालिका प्रशासन का कहना है कि इसमें महानगरपालिका का एक भी रुपए खर्च नहीं होगा और इन परियोजनाओं को विभिन्न कंपनियों के सामाजिक उत्तरदायित्व कोष से लागू किया जाएगा। इससे शहर में पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए नवी मुंबई की तर्ज पर यह पौधारोपण किया जाएगा और इसके लिए वृक्ष प्राधिकरण विभाग द्वारा शहर में आठ स्थानों का चयन किया गया है। 

    कुछ वर्ष पूर्व ठाणे महानगरपालिका प्रशासन ने राज्य सरकार के आदेशानुसार शहर में पांच लाख पेड़ लगाने के संकल्प के अंतर्गत वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाया था। हालांकि महानगरपालिका प्रशासन ने इस बात का ध्यान रखा था कि पौधे रोपने के बाद बचे रहें। इसके लिए दो से तीन फीट के पेड़ लगाए गए थे, लेकिन कुछ जगहों पर पानी की कमी के कारण ये पेड़ नहीं बचे। साथ ही इसमें शहर में बड़ी संख्या में विदेशी प्रजातियों के पेड़ लगाए गए थे। अब यह पेड़ बरसात के दौरान तेजा हवाओं के चलते अब धरासाई हो रहे हैं। इसलिए अब से स्वदेशी प्रजातियों के पेड़ लगाने का निर्णय लिया गया है और उसी के अनुसार पेड़ लगाए जा रहे हैं। 

    नवी मुंबई में किया था इस तकनीक का उपयोग

    ठाणे महानगरपालिका के कमिश्नर अभिजीत बांगर ने भी मियावाकी तकनीक का उपयोग करके शहर में पेड़ लगाने का अब निर्णय लिया है। कमिश्नर बांगर ने नवी मुंबई शहर में मियावाकी तकनीक के माध्यम से वन वनस्पति उगाने की पहल को लागू किया था। उन्होंने पाम बीच रोड और कोपरखैरने क्षेत्र में इस गतिविधि को लागू किया है और वहां अब एक बड़ा जंगल उग आया हैं। 

    इन इलाकों का किया गया चयन

    इसी तर्ज पर उन्होंने ठाणे शहर में भी वृक्षारोपण कर पेड़ों को फलने-फूलने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसके लिए उन्होंने वृक्ष प्राधिकरण विभाग को जगह तलाशी के निर्देश दिए थे। तदनुसार, इस विभाग ने शहर में आठ स्थानों की खोज कर ली है, जिसमें मुल्ला बाग में प्रकृति पार्क, मोगरपाड़ा क्षेत्र में सड़क विभाजन का हिस्सा, मोगरपाड़ा में खुली भूमि, कोपरी पुल के पास क्षेत्र, कोपरी वन विभाग स्थल, नगला बंदर, पारसिक विसर्जन घाट शामिल हैं।

    ठाणे शहर में मियावाकी तकनीक के माध्यम से देशी प्रजातियों के पेड़ों का जंगल विकसित किया जाएगा और उसके लिए जगह की तलाश की गई है। शहर के आठ जगहों पर देशी वृक्षों को लगाया जाएगा। चूंकि इन परियोजनाओं को विभिन्न कंपनियों के सामाजिक उत्तरदायित्व कोष से क्रियान्वित किया जाएगा, इसलिए महानगरपालिका इसके लिए एक रुपया भी खर्च नहीं करेगी।

    -अभिजीत बांगर, कमिश्नर, ठाणे महानगरपालिका