उल्हासनगर में ढाई दशक में इमारत ढहने से करीब इतने लोगों की जान चली गई

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    उल्हासनगर : शहर में बिल्डिंगों (Buildings) के निर्माण के बाद मात्र 20 से 25 साल के भीतर ही बिल्डिंगे रहने योग्य नहीं होती जा रही है। इसका कारण भवन निर्माण के दौरान संबंधित बिल्डर द्वारा गुणवत्ता का ध्यान न रखना बताया जा रहा है। उघोगनगरी के रूप में प्रसिद्ध उल्हासनगर (Ulhasnagar) शहर में बिल्डिंग के गिरने, इनके पिल्लर चटकने, दरार पड़ना और विगत दो साल से बिल्डिंग के फ्लैटों का स्लैब (Slabs) नीचे के फ्लैटों में गिरना जैसी की घटनाओं में अब तक 55 से 60 लोग से भी अधिक शहर के नागरिक नाहक ही अपनी जान गंवा चुके है। यह भी एक विडंबना है की लोगों की मौत उन्ही के घर में दब कर हो रही है। 

    गौरतलब है उल्हासनगर में पिछले 12 साल में 38 बिल्डिंग हादसे का शिकार हूई है और इन घटनाओं में 42 लोग वहीं शहर में कैम्प नंबर 2 स्थित सोना मार्केट के पीछे नव निर्माणाधीन एक बिल्डिंग के गिरने की घटना में 9 लोग मारे गए थे। इस तरह 25 सालों में इमारतें गिरने और कुछ इमारतों के स्लैब गिरने की वजह से तकरीबन 60 के समकक्ष लोग काल के आगोश में समा चुके है और हजारों लोग बेघर और बेरोजगार हो चुके है जिनका खुद का आशियाना हुआ करता था उनमें अधिकांश लोग अब किराएदार बनकर दूसरों के घरों में रहने पर मजबूर है। 

    गिरे हुए इमारतों के नाम

    शीशमहल अपार्टमेंट, मां भगवती, नीलकंठ, शिवसागर, रानी मां, महालक्ष्मी, शांति पैलेस, सन्मुख सदन, स्वामी शांतिप्रकाश अपार्टमेंट, सोना मार्केट, गुडमैन कॉटेज, नेहरू पार्क, हमलोग अपार्टमेंट, पारसमणी, सिंधरी सागर, लक्ष्मीनारायण, आशीर्वाद मार्केट, माधुरी कॉम्प्लेक्स, मल्लिका महल, मुरलीवाला, सत्यम कॉम्प्लेक्स, साई आशाराम अपार्टमेंट, मेमसाब, मंदार अपार्टमेंट, साई एम्पायर, शिवलीला, नवचंद्रिका, अंबिका सागर अपार्टमेंट, महक अपार्टमेंट, ओम शिवगंगा सोसायटी, मोहिनी पैलेस, साईशक्ती अपार्टमेंट, पारस पैलेस,देवऋषि बिल्डिंग, स्वामी नारायण पैलेस, कोमल पार्क और मानस टॉवर में हुए हादसे में 4 की जान गई है। जिले में उल्हासनगर एक ऐसा शहर होगा जहां केवल 25 साल के अंदर ही लोग घर छोड़ने पे मजबूर है। महानगरपालिका क्षेत्र की 4 प्रभाग समिति में 111 धोखादायक होने की जानकारी महानगरपालिका के अतिरिक्त आयूक्त जमीर लेंगरेकर ने दी है। 

    15 दिन के भीतर समिति को देनी थी रिपोर्ट

    वहीं शहर वासियों में चर्चा है कि उल्हासनगर शहर के अवैध निर्माण कार्य नियमाधीन किए जा सके इसलिए राज्य सरकार के माध्यम से 2006 से कोशिश जारी है और रेगुलाइज की प्रक्रिया तेज गति से हो इस लक्ष्य को लेकर तत्कालीन नगरविकास मंत्री एकनाथ शिंदे के प्रयासों के कारण आवश्यक नियम में सुधार सुझाव किए जा सके राज्य सरकार द्वारा 27 जुलाई 2021 में एक समिति गठित की गई थी और समिति को 15 दिन के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया था, लेकिन 15 महीने बीत गए है, कुछ हुआ नहीं। समिति में राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव, नगरविकास विभाग के प्रधान सचिव 1 और 2 का समावेश है, सहकार आयुक्त पुणे, जिला अधिकारी ठाणे, जमाबंदी आयुक्त कोंकण, उल्हासनगर महानगरपालिका कमिश्नर और 3 तज्ञ व्यक्तियों के साथ कुल 10 सदस्य समिति में नामित किए है। 

    एक सप्ताह में शहर हित में फैसला आने की उम्मीद 

    लाभार्थियों को अधिक एफएसआई और जमीन का मालिकाना हक देकर सरकार जर्जर और धोखादायक बिल्डिंगों में रहने वाले लाखों नागरिकों की समस्या का निदान करे यह मांग में लंबे अर्से से कर रहा हूं और विधानसभा अधिवेशन में शहर के इस ज्वलंत मुद्दे को समय-समय पर गंभीरता से उपस्थित किया है साथ ही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से भी प्रत्यक्ष मुलाकात की मानसून अधिवेशन में मुख्यमंत्री महोदय ने उल्हासनगर के हित में घोषणा की है। आगामी एक सप्ताह के भीतर समिति की रिपोर्ट पर सकारात्मक निर्णय आ सकता है। मंत्रालय में इस बिषय पर महत्त्वपूर्ण बैठक भी है। – (कुमार आयलानी, विधायक उल्हासनगर विधानसभा क्षेत्र)।