उल्हासनगर इमारत हादसा: एक बार फिर शहर वासियों ने दिखाई इंसानियत और हिम्मत

    Loading

    उल्हासनगर : हमेशा की तरह एक बार फिर शहर वासियों ने अपनी हिम्मत (Courage), इंसानियत (Humanity) और मदद (Help) करने की इच्छाशक्ति का परिचय दिया। सरकारी महकमे की मदद के इंतजार करने बजाए परिसर के ही सैकड़ों लोगों ने खुद ही अपने अपने स्तर पर मदद शुरू कर दी थी। प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो महानगरपालिका कर्मी और दमकल विभाग आधा घंटे से भी अधिक की देरी से घटना स्थल पर पहुंचा। जब तक परिसर के ही युवक मिलकर स्ट्रेचर पर 19 वर्षीय सागर ओचानी को कुछ ही दूरी पर स्थित एक निजी अस्पताल ले गया। लेकिन इलाज शुरू हो इससे पहले ही इस बच्चे की जान चली गई।

    समकक्ष मानस टॉवर का तीसरी मंजिल का स्लैब दूसरी और दूसरी का पहले और बाद में नीचे एक आटे की चक्की पर गिरने की घटना की जानकारी आसपास के लोगों को मिली लोगों ने महानगरपालिका अधिकारियों और दमकल विभाग को इसकी सूचना दी। मानस टॉवर में 4 की मृत्यु हुई है। इन में घोलनदास धनवानी (58) रेणु घोलनदास धनवानी (55) और 24 साल की उनकी बेटी प्रिया का समावेश था। 

    पड़ोसियों ने बताया कि प्रिया की सगाई हो चुकी थी और दिसंबर में विवाह के सात फेरे लेने वाली थी। जब यह हादसा हुआ तब सागर नामक बिल्डिंग के ग्राउंड पर बनी अपनी चक्की में बैठा वह मात्र दो मिनट पहले ही चक्की पर आया था। उससे पहले उसके पिता बैठे थे। वह 2 मिनट पहले कुछ ही अंतर पर स्थित गौशाला में सेवा करने के लिए निकले थे। स्थानीय लोगों ने दबी जुबान से राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों के प्रति भी अपनी नाराजगी दर्शायी।