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    भिवंडी : भस्मासुर की तरह निरंतर बढ़ती महंगाई के कारण लोगों की जेब खाली हो रही है। निरंतर बढ़ती महंगाई (Inflation) लोगों की जेब पर डाका डाल रही है। घरेलू सामानों सहित पेट्रोल (Petrol), डीजल (Diesel) की कीमतों में हो रही भारी वृद्धि की वजह से लोगों का घर सहित वाहन चलाना बेहद मुश्किल साबित हो रहा है। लोगों को समझ नहीं आ रहा कि बच्चों की शिक्षा (Education), मां-बाप का इलाज, कपड़े सहित तमाम जरूरतें कैसे पूर्ण होगी ? भारी महंगाई की वजह से लोगों का जीवन तनावपूर्ण (Stressful) बनता जा रहा है। लोग अनिद्रा के शिकार हो रहे हैं जिससे स्वास्थ्य बिगड़ रहा है।

    गौरतलब हो कि भस्मासुर की तरह बढ़ती महंगाई की वजह से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। लोगों के दैनिक खर्चों पर भी असर पड़ना शुरू हो गया है।महंगाई का आलम यह है कि पावरलूम नगरी में 25  तक कमाने वाला व्यक्ति अब परिजनों संग ठीक से गुजारा करने में परेशानी झेल रहा है।भारी महंगाई का हवाला देकर किराना दुकानदार, सब्जी विक्रेताओं सहित अन्य दुकानदारों नें जरूरी चीजों के भाव बढ़ा दिए हैं। दुकानदारों की मानें तो पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों से सभी वस्तुओं पर महंगाई की भारी मार पड़ रही है। पेट्रोलियम की कीमतों के बढ़ जाने से ट्रांसपोर्टिंग बढ़ रही है जिसका सीधा असर वस्तुओं की कीमतों पर पड़ रहा है। लोग मन मसोसकर चीजों को खरीदने की मजबूरी झेल रहे हैं।

    महंगाई पर सरकार का नहीं कोई जोर

    घरेलू चीजों की लगातार बढ़ती कीमतों की वजह से महंगाई ने रसोई का स्वाद भी बिगाड़ दिया है। गैस सिलेंडर की कीमतें करीब एक हजार तक पहुंच गई। विगत 2 माह में ही गैस सिलेंडर की कीमतों में करीब 200 रुपए की वृद्धि होने से लोगों पर भारी बोझ पड़ गया है। महंगाई की वजह से जहां पहले दाल थाली से गायब हुई अब सब्जी भी थाली से कमोबेश गायब हो रही है। बाजार में कोई भी सब्जी 60 से 80 किलो से कम नहीं मिल रही है। सरकार का जरूरी चीजों की कीमतों पर भी कोई नियंत्रण नहीं होने से अधिकतर दुकानदार अनाप-शनाप भाव बढ़ाकर ग्राहकों को लूट रहे हैं। फलों के दामों में भी बेतहाशा इजाफा हुआ है। केला 60 रुपए दर्जन, पपीता 60 रुपए किलो, अंगूर 100 रुपए किलो के भाव बिक रहा है। दूध के दाम भी 74 प्रति लीटर तक पहुंच गए हैं। दुकानदारों का कहना है कि रमजान पर्व मौके पर अक्सर फलों के दाम बेतहाशा बढ़ते हैं। रोजेदार खाने में फल को ही प्राथमिकता देते हैं।

    वाहन चालक किस्मत को रहे कोस 

    पेट्रोल, डीजल के भाव प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। दो पहिया, चार पहिया वाहन चालक जब दूसरे दिन पेट्रोल पंप पर पहुंचता है तो 24 घंटे पूर्व के भाव बड़े हुए मिलते हैं। पेट्रोल पंप पर खड़े कई वाहन चालकों ने सरकार की नीतियों पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार को वाहन कंपनियों पर नए वाहन बनाने पर अंकुश लगाना चाहिए। देश में पेट्रोलियम पदार्थों का जरूरी संसाधन और भंडार नहीं तो वाहन क्यों बन रहे हैं ? ऐसा ही रहा तो दो पहिया, चार पहिया वाहन भंगार में बिकना शुरू हो जाएंगे। सरकार को निरंतर बढ़ती महंगाई के मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।