वालधुनी नदी एक बार फिर हुई दूषित, पानी का रंग पड़ काला

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    उल्हासनगर : महानगरपालिका प्रशासन (Municipal Administration) सहित विविध NGO द्वारा जनजागृति की व्यापक पहल के बाद भी स्थानीय रेलवे स्टेशन के समीप से बहने वाली वालधुनी नदी (Valdhuni River) साफ नहीं हो पा रही है। वर्तमान समय में वालधुनी का पानी रोज रंग बदलता है। 

    नदी से नाला बन चुकी नदी को उसका पुराना वैभव दिलाने में आसपास की छोटी बड़ी कुछ कंपनियां और इसके किनारे रहने वाले नागरिक बाधक बने हुए है। जानकारी के अनुसार स्थानीय महानगरपालिका ने एनजीओ के आदेश के बाद वालधुनी को साफ सुधरा बनाने के लिए अपनी कोशिश शुरू की है। पिछले 5 वर्षो से एक साल में 3 बार वालधुनी नदी साफ करने का काम शुरू किया गया है। उल्हासनगर महानगरपालिका ने निजी ठेकेदारों के माध्यम से वालधुनी से सैकड़ों ट्रक कीचड़ निकलवाई है और सैकड़ों ट्रक कचरा निकाला है। कीचड़ निकालने का फायदा बरसात के दौरान देखने को मिला। 

    केमिकल कंपनियों द्वारा रसायन, नागरिकों द्वारा कचरा डालना बदस्तूर जारी है। अब इसमें उल्हासनगर रेलवे स्टेशन के पास के मच्छी विक्रेता भी शामिल हो गए है। स्टेशन पश्चिम की तरफ प्लेटफॉर्म से लगकर ही मच्छी मार्केट है। अपना धंधा हो जाने के बाद मच्छी का बचा कचरा और मच्छी को फ्रेश रखने के लिए इस्तेमाल किए थर्माकोल के बक्से वालधुनी नदी में फेंक दिए जाते है। पहले से ही दूषित नदी में धर्माकोल का डालने की वृद्धि हो जाना चिंता की बात है। 

    विशेषतः पुरे महाराष्ट्र में थर्माकोल बंद है, मच्छी वालों के पास बक्से के रूप में आज भी आपको बड़े पैमाने पर यह दिखाई दे रहा है। महानगरपालिका प्रशासन को इसपर ध्यान देना चाहिए। वालधुनी नदी स्वच्छता अभियान जल्द शुरू करना चाहिए।

    - शशिकांत दायमा, वालधुनी नदी, संवर्धन समिति।