Jalgaon Grampanchayat
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    आर्वी (सं). तहसील के जलगांव ग्रामपंचायत द्वारा पांच वर्षों की 9 लाख 85 हजार 158 रुपए की रॉयल्टी शासन के खाते में जमा नहीं करने की बात सामने आयी है. सूचना अधिकार के अंतर्गत धनंजय चौबे को यह जानकारी प्राप्त हुई. इस संदर्भ में शिकायत करने के बावजूद भी कार्रवाई नहीं हुई है. इस ओर ध्यान देकर ग्रामसेवक पर कार्रवाई करने की मांग सरपंच तथा ग्रामीणों ने की है.

    उल्लेखनीय है कि, वर्ष 2014 से 2019 तक जलगांव ग्रामपंचायत में किए गए विकासात्मक कामों की रायल्टी 93357 रुपए, मजदूर बीमा 1 फीसदी यानि 1 लाख 52 हजार 42 रुपए, मजदूर कल्याण उपकर 1 लाख 39 हजार 668 रुपए, इनकम टैक्स 2 लाख 67 हजार 672 रुपए, जीएसटी 2 लाख 30 हजार 831 रुपए, मुद्रांक शुल्क 11400 रुपए, निर्माणकार्य जांच 34485 रुपए, मूल्यांकन से ज्यादा बिल बदायगी 55703 कुल 9 लाख 85 हजार 155 रुपए की राशि शासन के खाते में जलगांव ग्रामपंचायत ने जमा नहीं किए. खंडविकास अधिकारी ने उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी को यह जानकारी दी थी.

    अधिकारियों की लापरवाही

    उक्त राशि शासन के खाते में जमा करने की जिम्मेदारी ग्राम विस्तार अधिकारी की रहती है. यह राशि जमा हुई या नहीं, इसकी जिम्मेदारी खंड विकास अधिकारी, उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा सीओ की रहती है. किंतु इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया. इस संदर्भ में शिकायत की गई तो पता चला कि ग्रामसेवक संगीता गोरे ने यह राशि शासन को जमा नहीं की. लेखा परीक्षण द्वारा जलगांव ग्रामपंचायत के खातों का आडिट किया तो 9 लाख 85 हजार 158 रुपए नहीं भरने की बात सामने आयी. 

    ग्रापं में अनेक अनियमितताएं

    पांच वर्षों में ग्रामपंचायत में अनेक अनियमितताएं होने की जानकारी मिली है. इन पांच वर्षों में सारे काम एक ही ठेकेदार को दिये गए हैं. अनेक काम 3 लाख से ज्यादा के शासन निर्णय के हिसाब से ई-निविदा द्वारा दिये जाने चाहिए, किंतु ई-निविदा पूरा कामों का वितरण ही नहीं किया गया. उसी तरह शासन नियमों का पालन भी नहीं करने की जानकारी 14 अक्टूबर 2021 के ऑडिट नोट में है. इसकी शिकायत होने के बाद बीडीओ ने भी सीओ को दिये पत्र में कबूल किया है.

    पालकमंत्री से की गई शिकायत

    सरपंच सोनाली लाड ने पालकमंत्री सुनील केदार को भी शिकायत कर जांच करने की मांग की. पालकमंत्री ने जिलाधिकारी को पत्र देकर जांच करने के आदेश दिये हैं. जिलाधिकारी ने 22 फरवरी 2022 को सीओ ओम्बासे ने खंडविकास अधिकारी को इस प्रकरण का प्रस्ताव मांगा था. खंडविकास अधिकारी माने ने भी यह प्रस्ताव सीओ को भेजा था. किंतु उक्त प्रकरण में पूर्व ग्रामसेवक गोरे पर क्या कार्रवाई हुई, यह सरपंच को जानकारी आज तक नहीं मिली. पूर्व जिप सदस्य धनंजय चौबे ने बताया कि जलगांव ग्रापं में नियमानुकसार राशि शासन दरबार में जमा करनी चाहिए थी. किंतु जमा नहीं की गई. बीडीओ ने भी शासन की रायल्टी इनकम टैक्स, जीएसटी आदि 10 लाख रुपए शासन में जमा नहीं करने का प्रस्ता भेजा है. एक साल से ज्यादा का समय हो गया है.

    वरिष्ठ अधिकारियों की अनदेखी का नतीजा

    वरिष्ठ अधिकारी अनदेखी कर रहे हैं. सरपंच ने पालकमंत्री को तथा दस माह पूर्व नागरिकों ने बीडीओ को निवेदन देकर जांच की है. जिलाधिकारी ने स्वतंत्र जांच समिति गठित करनी चाहिए. जलगांव के सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पोटे ने इस प्रकरण की गहरी जांच करने की मांग की है.