QR Code

  • घर-घर लगाए जा रहे क्यूआर कोड

Loading

वर्धा. आने वाले दिनों में शहर का कचरा संकलन हाईटेक होने वाला है़ प्रभागों में कचरा संकलन के दैनिक कार्य का लेखाजोखा नगर परिषद प्रशासन के पास उपलब्ध रहेगा. इसके लिए हर घर जाकर इन दिनों क्यूआर कोड लगाने का कार्य चल रहा है़ कार्य में पारदर्शकता लाने के साथ ही भविष्य में कचरा संकलन प्रणाली से कोई भी घर वंचित नहीं रहने का दावा किया जा रहा है़ नगर परिषद के अंतर्गत शहर के कचरे के उचित नियोजन के लिए ठेकेदार को नियुक्त किया है.

दैनिक जानकारी नप प्रशासन के पास रहेगी

कचरा गाड़ियों के माध्यम से हर घर से प्रतिदिन सुखा व गीला कचरा जमा किया जाता है़  इस कचरा संकलन के कार्य पर नप प्रशासन की ओर से निरंतर निगरानी रखी जाती है़ वहीं कई बार नियमित रूप से कचरा संकलित नहीं होने का आरोप नागरिक लगाते रहते है़ ऐसे में क्यूआर कोड प्रणाली पर अमल होने के बाद कचरा संकलन के कार्य की दैनिक जानकारी नप के पास उपलब्ध रहने से कार्य अधिक प्रभावी रूप से होगा. 

शिकायतों को दूर करने में होगी आसानी

क्यूआर कोड प्रणाली पर अमल होने के बाद संबंधित कचरा गाड़ी पर नियुक्त कर्मचारी को घरों में लगे क्यूआर कोड को अपनी एप में स्कैन करना अनिवार्य रहेगा़  इससे कौनसे प्रभाग में कौनसी कचरा गाड़ी गई़  कितने घरों से कचरा संकलित किया, समय के साथ जानकारी नगर परिषद के पास उपलब्ध होगी़ पश्चात नागरिकों की शिकायतों को दूर करने में नप प्रशासन को आसानी होगी़  साथ ही अगर नियमित रूप से कचरा संकलन नहीं होता है, तो संबंधितों पर कार्रवाई होने वाली है. 

शहर के 10,000 घरों पर लगाए स्टीकर

नगर परिषद की ओर से मुंबई की आईटीआई कंपनी को इस कार्य के लिए नियुक्त किया है़ पिछले कुछ दिनों से शहर के रहिवासी घरों पर क्यूआर कोड के स्टीकर लगाने का कार्य चल रहा है़ इस क्यूआर कोड में संबंधित घर मालिक की जानकारी दर्ज है़ शहर में निवासी घरों की संख्या 18,000 के आसपास है़ इसमें से 10,000 घरों पर यह स्टीकर लगाने का कार्य पूर्ण होने की बात बताई जा रही है.  

कंपनी के साथ 7 वर्ष का रहेगा समझौता

कचरा संकलन का पिछला ठेका समाप्त होने से फिलहाल टेंडरिंग व अन्य प्रक्रिया चल रही है़ नगर परिषद ने आईटीआई कंपनी के साथ किए इस समझौते पर अगला ठेकेदार नियुक्त होने के बाद अमल शुरू होगा़  7 वर्ष तक संबंधित कंपनी को देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी गई है़ फिलहाल इस प्रणाली को कार्यान्वित करने कितना खर्च होगा, यह स्पष्ट नहीं हुआ है.