Cotton
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वर्धा. आज नहीं तो कल कपास का दाम बढ़ेगा, इस उम्मीद से किसानों ने बड़ी मात्रा में कपास की उपज घरों में ही संचित कर रखी है़ किन्तु मूल्यवृध्दि होने की बजाये इसमें कमी आने से किसानों की चिंता और बढ़ गई है़ आज भी अनेक किसानों ने सैकड़ों क्विंटल कपास घर में रखा है़ परंतु अब दस हजार रुपये प्रति क्विंटल तक मूल्य मिलने की उम्मीद काफी कम बताई जा रही है.

इस वर्ष बोंड इल्ली के कारण किसानों को कपास की फसल उखाड़ फेंकनी पड़ी. परिणामवश कपास की उपज में भारी कमी आयी है. इससे किसानों में चिंता का माहौल बन गया. कपास को नकद फसल के रुप में लिया जाता है़ आगामी वर्ष का आर्थिक नियोजन कपास की फसल पर निर्भर रहता है. परंतु इस वर्ष सभी नियोजन गड़बड़ाया हुआ है. पत्ते व फल लगने के दिनों में बारिश ने कहर ढाया.

परिणामवश पत्तियां गलने लगी़ इसका असर पौधें की वृध्दि पर हुआ. धूप न मिलने से कपास के फल काले गिर गये. ऐसे में बोंड इल्ली ने कहर ढाया़ बदरीले मौसम के कारण कोहरे से पौधों को नई पत्तियां नहीं आयी़ बचीकुची पत्तियां पीली पड़ने से गलने लगी. परिणामवश किसानों को नुकसान पहुंचा. इससे किसानों का नियोजन गड़बड़ा गया. एक से दो चुनाई में कपास की फसल खत्म होने से इस वर्ष उपज में काफी कमी आयी है.

इस वर्ष कपास को अच्छा मूल्य मिलेगा यह उम्मीद थी. परंतु लागत खर्च भी न मिलने से किसान परेशान है. मार्केट में कपास को पिछले साल से भी कम मूल्य होने से बिक्री पर किसानों ने रोक लगा दी है. कुछ हद तक सोयाबीन की बिक्री से प्राप्त राशि पर खर्च किया गया़ परंतु आज भी किसानों की आर्थिक बिघड़ी हुई है.

लागत खर्च भी निकलना मुश्किल

बारिश से कपास का उपज में 50 प्रश तक कमी के कारण व्यापारी भी उचित मूल्य नहीं दे रहे है़. परिणामवश लागत खर्च भी निकलना मुश्किल हो गया है. इस बार कपास के भाव में काफी मंदी देखने मिल रही. गतवर्ष कपास के मूल्य में तेजि देखने मिली थी. 

दिन-ब-दिन गिर रहे दाम

मकर संक्राति के बाद भाव बढ़ेगा, ऐसा अनुमान कृषि विशेषज्ञों ने व्यक्त किया था. किन्तु भाव में वृध्दि होने की बजाये दिन-ब-दिन कमी आ रही है. फिलहाल कपास को 7 हजार रुपये तक भाव मिल रहा है. परंतु व्यापारी इसे गिला बताकर कम मूल्य दे रहे है. परिणामवश किसानों की चिंता बढ़ रही है़  कपास घर में पड़ा हैं, दूसरी ओर बुआई, बीज, दवाई, खाद पर किये गये खर्च को चुकाने की चिंता सता रही है. 

किसानों का हो रहा भारी नुकसान

गतवर्ष कपास को अच्छा मूल्य मिला था. इस बार कपास को 10 हजार रु़ प्रति क्विंटल भाव मिलेगा, ऐसी उम्मीद थी. गत कुछ माह से कपास का मूल्य स्थिर है. 7 हजार के ऊपर मूल्य नहीं बढ़ रहा. व्यापारी गिलेपन के नाम पर 6 हजार 500 रुये से 7 हजार रु़ के भीतर भाव दें रहे है़. परिणामवश किसानों का भारी नुकसान हो रहा है. 

-अरुण खंगार, किसान, खरांगणा