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    वर्धा. महात्मा फुले कर्जमाफी योजना के अंतर्गत किसानों को कर्जमाफी देने का राज्य सरकार ने निर्णय लिया है. बकायादार किसानों को कर्जमाफी दी गई, परंतु नियमित रूप से कर्ज भरनेवाले किसान अभी भी प्रोत्साहन राशि की प्रतीक्षा कर कर रहे हैं. उनके यह खुश खबर है. प्रशासन ने ऐसे किसानों के बैंक खाते में प्रोत्साहन राशि जमा करने के संदर्भ में कार्यवाही शुरू कर दी है. विगत 3 वर्ष से राज्य सरकार कोरोना महामारी से लड़ रही है. सभी व्यवहार ठप होने से राज्य के बजट पर बुरा प्रभाव पड़ने से कर्जमाफी प्रक्रिया को ब्रेक लग गया था. सरकार ने नियमित रूप से कर्ज का भुगतान करनेवाले किसानों को प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की थी. परंतु इस घोषणा पर सरकार ने अमल नहीं किया था. 

    अर्थव्यवस्था लौट रही पटरी पर

    अब अर्थव्यवस्था पुन: पटरी पर आ रही है. फिर भी सरकार कर्जमाफी का नाम नहीं लेने से किसानों का रोष बढ़ते जा रहा था़  जिसके मद्देनजर सरकार ने महात्मा फुले कृषि सम्मान योजना के अंतर्गत किसानों को प्रोत्साहन पर अनुदान सीधे बैंक खाते में जमा करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी है. 6 मई को जारी किए गए आदेशानुसार, वर्ष 2017-18, 2018-19 व 2019-20 दौरान वितरित फसल कर्ज की जानकारी जिला उपनिबंधक कार्यालय से 11 मई को भेजी गई. 

    23,919 किसानों ने भरा नियमित कर्ज

    राज्य के सहकार आयुक्त की ओर से तीन वर्ष में किसानों ने उठाए कर्ज की जानकारी मांगी गई़  जिसके अनुसार जिले के 2017-18 में 25 हजार 43 किसानों ने बैंक से कर्ज लिया था़  जिसमें से 9 हजार 147 किसानों ने कर्ज चुकाया है़  2018-19 में 45 हजार 392 किसानों ने कर्ज लिया था़  जिसमें से 2019-20 में 14 हजार 772 किसानों ने बकाया कर्ज अदा किया़  ऐसे में नियमित कर्ज भरनेवाले जिले के 23 हजार 919 किसान प्रोत्साहन राशि के लिये पात्र हैं.

    2019 में योजना पर अमल

    इसके पहले महात्मा ज्योतिबा फुले किसान कर्ज मुक्ति योजना पर 2019 में अमल हुआ था़  योजना के अंतर्गत आवेदन करनेवाले जितने भी किसानों का नाम सूची में आया था, उन सभी किसानों के बैंकों में थम्ब इम्प्रेशन लिए गए़  जिसके बाद बैंक खाते में सीधे कर्जमाफी का प्रोत्साहन पर अनुदान जमा किया गया है़  जबकि 2017 में तत्कालीन सरकार ने छत्रपति शिवाजी महाराज कर्ज माफी योजना पर अमल किया था़  किंतु, तब 300 से ज्यादा किसानों की सूची में नाम रहने के बावजूद भी योजना से वंचित रहने से उन्होंने शिकायतें दर्ज की थी.