
वर्धा. जिले में ऐसे कई सरकारी दफ्तर हैं जिनको खुद की स्वतंत्र इमारत नहीं है. बरसों से इन कार्यालयों का कामकाज किराये के मकान में चल रहा है. परिणामवश यहां काम के सिलसिले आनेवाले नागरिकों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है. पिछले अनेक वर्षों से जिले के महत्वपूर्ण कार्यालय आज भी किराये के मकान में चल रहे है. इन कार्यालयों के कामकाज का व्यापक रूप होते हुए भी उन्हें निजी इमारतों में काम करना पड़ता है. परिणामवश संबंधित विभाग के अधिकारी, कर्मियों के साथ साथ यहां आनेवाले नागरिकों को भी असुविधा का सामना करना पड़ता है.
कृषि विभाग को मिली इमारत
कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण होनेवाले कृषि अधीक्षक कार्यालय को कुछ माह पहले ही स्वतंत्र इमारत मिली है. परंतु तहसील कृषि कार्यालय का कामकाज आज भी किराये की इमारत में ही शुरू है. अन्य महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालय हैं, जो आज भी किराये के मकान अथवा इमारत में चल रहे है. इसमें जिला उपनिबंधक कार्यालय, खाद्य व औषधि प्रशासन विभाग, जिला श्रमिक कार्यालय, तहसील कृषि विभाग, नापजोंख विभाग, महिला व बालविकास विभाग सहित अन्य छोटे कार्यालयों का समावेश है. जहां पानी की समस्या, रखरखाव, दुर्गंध आदि समस्या देखने मिलती है़ इस ओर प्रशासन व सरकार ने गंभीरता से ध्यान देकर कार्यालयों को स्वतंत्र इमारत देने की मांग हो रही है.
नहीं पार्किंग की व्यवस्था
उल्लेखनिय हैं कि किराये की इमारत व मकान में चल रहे कार्यालयों को स्वतंत्र पार्किंग व्यवस्था भी नहीं है. परिणामवश अधिकारी, कर्मचारी तथा यहां आनेवाले नागरिक अस्तव्यस्त तरिके से वाहन खड़े कर देते है़ं इससे दुर्घटना का डर पैदा हो रहा है.
इन दफ्तरों को चाहिए स्वतंत्र इमारत
जिले के अनेक महत्वपूर्ण कार्यालय हैं, जिन्हें स्वतंत्र इमारत की अत्यंत आवश्यकता है़ जिला उपनिबंध कार्यालय की पुरानी इमारत अत्यंत जीर्ण होने से इस कार्यालय का काम किराये के मकान में चल रहा है़ इसके अलावा खाद्य व औषधि प्रशासन विभाग, श्रमिक कार्यालय, तहसील कृषि विभाग, सांख्यिकी कार्यालय, आत्मा प्रकल्प व नापजोख विभाग को भी उनके अधिकार की स्वतंत्र इमारत की आवश्यकता है.