अब स्कूलों को मराठी पढ़ाना अनिवार्य, विभाग का परिपत्रक जारी

  • लागू होगी मराठी की शिक्षा

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वर्धा. राज्य के सभी स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को मराठी भाषा के प्रति दिलचस्पी निर्माण होने के साथ मराठी भाषा पर प्रभुत्व होना आवश्यक है. इस कारण शासन ने अनुदानित, बगैर अनुदानित, कायम रूप से बिना अनुदानित तथा सीबीएसई ऐसे सभी पाठ्यक्रमों की स्कूलों में वर्ष 2020-21 इस शैक्षणिक वर्ष से मराठी का अध्यापन व अध्ययन अनिवार्य कर दिया है. इस पार्श्वभूमि पर जिले की सभी माध्यम व पाठ्यक्रमों की स्कूलों को मराठी भाषा अनिवार्य करने संबंधित परिपत्रक शिक्षा विभाग ने जारी कर दिया है. 9 मार्च 2020 को जारी अधिनियम के तहत जिले में स्थित हर एक स्कूल तथा स्कूल में पंजीकृत हर एक विद्यार्थी को मराठी भाषा सिखाना अनिवार्य रहेगा.

मराठी भाषा यह विषय शैक्षणिक वर्ष 2020-21 से प्रारंभ कर चरण-चरण में कक्षा पहली से दसवीं तक एक सख्ती का विषय के तौर पर पढ़ाया जाएगा. इस वर्ष कक्षा पहली व छठवीं के लिए शुरू किया जाएगा. फिर बढ़ते क्रम में अगले वर्ष अगली कक्षा के लिए लागू होगा. इसमें वर्ष 2020-21 में पहली, छठवीं, वर्ष 2021-22 में दूसरी, सातवीं, वर्ष 2022-23  में तीसरी आठवीं, वर्ष 2023-24 में चौथी, नौवीं, वर्ष 2024-25 में पांचवीं, दसवीं में लागू होगा. मराठी भाषा विषय का मूल्य निर्धारण सभी स्कूलों में किया जाएगा. जिले की स्कूलों में मराठी बोलने पर अप्रत्यक्ष रूप से कोई भी निर्बंध नहीं लगाया जाएगा.

आर्थिक जुर्माने का प्रावधान
शासन द्वारा स्कूल को मान्यता व नो ड्यू प्रमाणपत्र लेने के लिए अधिनियम का प्रावधान, मराठी भाषा विषय के विद्यार्थियों को सख्ती का अध्यापन व मूल्य निर्धारण यह शर्त होगी. अधिनियम आने से पूर्व अस्तित्व में वाले स्कूल मराठी भाषा एक विषय सख्त के तौर पर नहीं पढ़ाती है तो, उसकी मान्यता रद्द की जाएगी. अधिनियम के प्रावधान व नियमों का उल्लंघन करने पर स्कूलों के प्रबंधकीय संचालक व अन्य कोई भी सक्षम व्यक्ति को एक लाख तक आर्थिक दंड दिए जाने की जानकारी शिक्षाधिकारी उल्हास नरड ने दी है.