- हड़ताल को 73 दिन हो गए पूर्ण, मांगों पर नहीं बन पा रही सहमति
वर्धा. जिले में एसटी कर्मियों की हड़ताल को 73 दिन पूर्ण हो चुके है़ आंदोलन पर अड़े कर्मियों का दो माह का वेतन न मिलने से उनके बेहाल हो रहे है़ं इस बीच इक्का दुक्का कर्मचारी काम पर लौटते नजर आ रहे है. इससे डिपो से कुछ एसटी बसें दौड़ रही है. ग्रामीण अंचल में एसटी बसें न पहुंचने से नागरिकों को दिक्कतें उठानी पड़ रही है.
बता दें कि जिले में 28 अक्टूबर से एसटी कर्मियों ने आंदोलन शुरू किया़ कुछ मांगों पर सरकार ने सहमती दर्शायी़ मगर कर्मचारी एसटी महामंडल का राज्य सरकार में विलय करने की मांग पर अड़ गए़ इससे सरकार व एसटी कर्मियों में संघर्ष शुरू चल रहा है. कुछ दिनों पहले एसटी कर्मियों के एक संगठन ने आंदोलन पीछे लेने का निर्णय लिया.
दूसरा संगठन पीछे हटने को तैयार नहीं
इसके बाद एक एक कर आंदोलन में शामिल कर्मचारी काम पर लौट रहे है़ इसके बाद दूसरे संगठन ने हड़ताल से पीछे न हटने का निर्णय लिया है़ परिणामवश जिले में हड़ताल खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. आंदोलन में शामिल कर्मियों का वेतन भी नहीं दिया गया़ परिणामवश अनेक कर्मचारी व उनके परिवार आर्थिक संकट में घिर गए है़ इस तंगहाली से त्रस्त होकर कुछ दिनों पहले आर्वी डिपो के एक कर्मी ने घर में ही खुद को जलाने की कोशिश की थी़ इस घटना में वह बुरी तरह से झुलस गया़ उस पर सेवाग्राम के अस्पताल में इलाज चल रहा है़ वेतन न मिलने से जिले के अधिकांश कर्मियों की स्थिति अत्यंत बिकट हो गई है.
बसों की मरम्मत का खर्च और बढ़ेगा
जिले में आर्वी, वर्धा, तलेगांव, पुलगांव व हिंगनघाट डिपो में कुल 224 एसटी बसें है़ हड़ताल के कारण जिले में 800 फेरियां प्रभावित हुई है़ कुछ कर्मचारी काम पर लौटने से प्रतिदिन 25 से 30 फेरियां चलने की जानकारी है़ दो दिन पहले वर्धा व पुलगांव डिपो से एसटी बसें दौड़ी. अनेक बसें डिपो में बंद पड़ी है़ अब इन बसों की दुरुस्ती के खर्च का बोझ एसटी महामंडल पर बढ़ गया है़ पहले ही हड़ताल के कारण महामंडल के वर्धा विभाग को करोड़ों का घाटा उठाना पड़ रहा है.
विलय की मांग पर अड़े हैं कर्मचारी
वर्धा डिपो में चल रहे आंदोलन को रविवार को 73 दिन पूर्ण हो चुके है़ सरकार जब तक मुख्य मांग नहीं मान लेती तब तक आंदोलन को शुरू रखने का निर्णय एसटी कर्मियों ने लिया है़ वहीं इस समस्या पर शीघ्र हल निकालने व कर्मियों को राहत देने की मांग आम जनता कर रही है.