सभा मंडपों को साहित्यप्रेमियों का इंतजार, साहित्यनगरी में कुर्सियां दिखाई दे रही खाली

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    वर्धा. 53 वर्षों बाद वर्धानगरी में 96वां अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन आयोजित किया गया है़ इसके पूर्व 1969 में 48 वां साहित्य सम्मेलन वर्धा में हुआ था़  5 फरवरी तक विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है़ इसके लिये 6 भव्य सभा मंडप तैयार किये गये है़ं  परंतु उपरोक्त सभा मंडप साहित्य प्रेमियों की बांट जोहते दिखाई दे रहे है़ं केवल कवि व गजल कट्टा के सभा मंडप में जरासी चहल पहल देखी जा रही है.

    वहीं परिचर्चा व मुख्य सभा मंडप में चल रहे उपक्रमों को लेकर निरुत्साह होने से केवल खाली कुर्सियां दिखाई दे रही है़  विदर्भ साहित्य संघ की ओर से अभा मराठी साहित्य महामंडल का 96वां अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन महात्मा गांधी व विनोबा भावे की कर्मभूमि में हो रहा है.

    2 फरवरी को सप्तखंजेरी वादक सत्यपाल महाराज के प्रबोधन पर कार्यक्रम में श्रोताओं ने भीड़ की थी़  इसके बाद 3 से 5 फरवरी तक साहित्य सम्मेलन स्थल पर साहित्य प्रेमियों का जत्था देखने मिलने की उम्मीद थी़ परंतु उद्घाटन समारोह के बाद से 7,500 आसन क्षमता वाले मुख्य सभा मंडप में खाली कुर्सियों के अलावा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है.

    कवि व गजल कट्टा में चहल-पहल का माहौल

    आयोजकों ने छापी निमंत्रण पत्रिका में कार्यक्रमों का क्रम भी गड़बड़ाया है़ इससे रसिक श्रोता भी संभ्रम में पड़ गये है़ं मुख्य सभा मंडप के अलावा पांच अन्य सभा मंडप तैयार किये गये है़ इनकी आसन क्षमता भी 2 से 5 हजार के करिब है़ शनिवार को कवि व गजल कट्टा इन दो सभा मंडपों को साहित्य प्रेमियों ने कुछ हद तक प्रतिसाद दिया़ परंतु शेष 3 सभा मंडपों में सन्नाटा छाया रहा़ परिचर्चा कार्यक्रम को लेकर साहित्य प्रेमियों में निरुत्साह देखने मिला़ बाल साहित्य व बाल चित्र प्रकल्प में भी रौनक देखने नहीं मिली़ वर्धा के श्रोताओं से अधिक स्कूली विद्यार्थी साहित्यनगरी परिसर में देखे गये.

    सुविधाओं के अभाव में असंतोष का वातावरण 

    इसके अलावा यहां विभिन्न जिलों से पहुंचे बुक स्टॉल के संचालक, महिला साहित्यकार व प्रेमियों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है़ एक ही व्यक्ति को भोजन पास दिये जाने के कारण सहयोगी को अपनी सुविधा स्वयं करनी पड़ रही है़ साहित्यनगरी के आसपास निवासित लोगों के यहां महिलाए बड़ी संख्या में आश्रित है़ सरकार की ओर से साहित्य सम्मेलन के आयोजन के लिये 2 करोड़ का अनुदान घोषित किया गया है़ परंतु सुविधा का अभाव होने से साहित्य प्रेमियों में श्रोताओ में असंतोष देखा गया.