कपास के दाम 7800 पर स्थिर,खुलेआम निजी व्यापारियों द्वारा कपास खरीदी जारी

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    यवतमाल. यवतमाल जिले में कपास के दामों में बिते सप्ताह में गिरावट दर्ज की गयी. शनिवार 20 नवंबर तक जिले की सभी तहसीलों में कपास को 7700 रुपयों से लेकर 7800 रुपए प्रतिक्वींटल दाम कपास  उत्पादकों को मिलें.

    बता दें की बिते पखवाडे में कपास के दामों में गिरावट आयी है,मंडीयों में  लाईसेंसी व्यापारीयों, और जिनिंग फैक्टरीयों में कपास लानेवाले किसानों के दर्जे और नमी के नाम पर कपास के दामों में कमी आयी है.जिले में इस वर्ष 8 हजार से लेकर 8 हजार 100 रुपयों से अधिक दर नही बढ पाए.जिससे किसानों को एमएसपी की तुलना में उचित दर नही मिल पा रहे है.

    यवतमाल जिले में यवतमाल तहसील में शनिवार को 7900 रुपए प्रतिक्वींटल,पांढरकवडा में 7800 रुपए, रालेगांव में 7800 तथा घाटंजी में 7800 रुपए प्रतिक्वींटल दाम दिए गए. इसी बीच मंडीयों की तुलना में जिनिंग फैक्टरीयों में इन दिनों कपास की आवक जारी है, लेकिन आगामी दिनों में कपास को अच्छे दर मिल सकते है, इसका अनुमान लगाते हुए अनेक किसानों ने कपास बाजार में बेंचने न लाकर घरों में ही इसका संग्रह कर रखा है.

    यवतमाल जिले की लंबे धागे की और अच्छे दर्जे की कपास खरीदी के लिए स्थानिय व्यापारीयों से लेकर परप्रांतीय व्यापारीयों में होड लगी है. खेडा खरीदी के अलावा तहसीलस्तर पर इन दिनों यवतमाल जिले में कपास की निजी स्तरों पर भी धडल्ले से खरीदी की जा रही है.

    लाईसेंसी व्यापारीयों के अलावा जीनके पास खरीदी का लाईसेंस नही है, वें भी गांवों में खेडा खरीदी में जुटे है. इसी बीच जिले में सीसीआय की खरीदी बंद है, तो दुसरी ओर कृषी बाजार मंडीयों में भी कपास की आवक कम है, क्योंकी व्यापारी किसानों के दरवाजों पर पहूंचकर उसे खरीद रहे है.

    जिले में अच्छे दर्जे की कपास होने के बावजुद कपास फेडरेशन ऑफ इंडिया ने सीसीआय के जरीए इस बार किसानों से सीधी खरीदी न कर खुले मार्केट में खरीदी हों, इसके लिए प्रयास कीए जा रहे है. जबकी निजी जिनिंग फैक्टरीयों में कपास को 7900 से 8 हजार और अधिकतम 8100प्रतिक्वींटल दर देकर खरीदी की जा रही है.

    जिले की कपास अच्छे दर्जे की और लंबे धागे की होने से इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी मांग है.इसे ध्यान में लेकर जिले के विभीन्न जिनिंग फैक्टरीयों से व्यापारीक स्तर पर व्यवहार जारी है.जिससे इसके बाद प्रक्रिया कर कपास की गठानें तैयार कर उनका परप्रांतों से लेकर बडे शहरों में निर्यात किया जा रहा है.

    डुब रहा है करोडों का सेस,सहकार विभाग उदासिन

    उल्लेखनिय है की इस बार जिले में सरकारी स्तर पर कपास की खरीदी नही हो रही है, लेकिन किसानों के अच्छे दर्जे की कपास को दाम नही मिल पा रहे है.बिना लाईसेंसी व्यापारीयों द्वारा खुलेआम ग्रामीण स्तरों पर कपास खरीदी जा रही है,लेकिन जिला सहकार निबंधक,सहकार विभाग और सरकारी कृषीमंडी प्रशासन इस ओर नजरअंदाजी बरते हुए है.

    खेडा और खुली खरीदी है, जिसपर प्रशासनिक नियंत्रण नही रहा है.सभी तहसीलों में बडे पैमाने पर लाईसेंस न होने के बावजुद कपास, सोयाबीन खरीदी होने से हर दिन सरकार को नियमानुसार मिलनेवाला करोडों रुपयों का सेस डुबोया जा रहा है, लेकिन इसके बावजुद सहकार विभाग के अधिकारीयों की आंखें नही खुली है, जिससे कपास खरीददारों और प्रशासनिक स्तर पर मिलीभगत होने की चर्चा किसानों में जारी है.