भूमिहिन को व किसानों को न्याय देने का प्रस्ताव मंजूर, माकप का 9 वे जिला अधिवेशन खत्म

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    तिसरे बार कुमार मोहरमपुरी का जिला सचिव पर चयन 

    वणी. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पक्ष का हर तीन वर्षे के बाद होनेवाला जिला अधिवेशन वणी के कॉम्रेड नानाजी टेकाम सभागृह ( किसान मंदिर) में  लिया गया.  आगे के तीन वर्षे के लिए नए जिला कमिटी का चयन कर तिसरी बार कुमार मोहरमपुरी की जिला सचिव पद पर चयन व   13 सदस्यीय जिला कमिटी निश्चित की गई. साथ ही इस अधिवेशन में भूमिहिन व किसानों को न्याय देनेवाले प्रस्ताव मंजूर किए गए. 

     इस अधिवेशन के राज्य कमिटी सदस्य व लेखक कॉ. उदय नारकर, (कोल्हापूर) उद्धघाटक थे व राज्य कमिटी सदस्य व महाराष्ट्र राज्य किसान सभा के अध्यक्ष कॉ. किसन गुजर, (नाशिक)   प्रमुख वक्ता थे . अधिवेशन प्रमुख अतिथी राज्य कमिटी सदस्य कॉ. शंकरराव दानव  उपस्थित थे. कॉ. डी. बी. नाईक, कॉ. अनिता खुनकर व कॉ.सदाशिव आत्राम ने  अध्यक्षीय मंडल में यह अधिवेशन चलाया गया.  जिला सचिव कॉ. कुमार मोहरमपुरी ने श्रद्धांजली प्रस्ताव रखकर पक्ष व आंदोलन मे शहीद व कोरोना समय पर मृत्युमुखी हूए नागरिकों को  श्रद्धांजली  अर्पीत की गई.

    उसके बाद मोहरमपुरी ने पिछले चार वर्षे दल का राजकिय, संगठात्मक, व आंदोलात्मक चुनौतिया प्रस्ताव  अधिवेशन रखा. इस प्रस्ताव पर  10 प्रतिनिधीं ने अपने विचार रखे व इस प्रस्ताव को समर्थन देने के बाद मतदान के माध्यम से मंजूरी दी गई.  वनाधिकार  कानून के अनुसार प्रलंबित दावा मंजूर किया जाए,  जिले में अनेक गांवों में गरीब  भूमिहीन नागरिकों ने सरकार के राजस्व व बजर जमीन पर अतिक्रमण कर जमीन कसनेवाले को जमीन दिया जाए.

    निजी कंपनी से फसल बिमा निकाला जाता है लेकिन कंपनियों से टालटूल किया जाता है. इन कंपनियों पर अंकूश लगाए जाए इन जैसे महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए. अधिवेशन के अखरी 13 सदस्यीय जिला समिती का चयन किया गया. इस जिला कमिटी में  शंकर दानव, कुमार मोहरमपुरी, डी. बी. नाईक, अनिता खुनकर, देविदास मोहकर, चंद्रशेखर सिडाम, कवडू चांदेकर, गजानन ताकसांडे, दिलीप परचाके, सुधाकर सोनटक्के, खुशालराव सोयाम व किसनराव मोहूर्ले का समावेश है.

     इस अधिवेशन को नियम के तहत  गिनेचूने प्रतिनिधी उपस्थित थे.  अविधेश्न सफल करने के लिए नंदकिशोर बोबडे, मनोज काले, भीमराव टेकाम, भीमराव आत्राम, शिवशंकर बांदूरकर, दीपक देशमुख, प्रवीण तोरणपवार, विजय सावरकर यांनी अथक परिश्रम लिए.