ग्रीष्मकालीन सोयाबीन, मुंग फसल पर करपा बिमारी का प्रकोप, उत्पादक किसान हुए हताश

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    मारेगांव.तहसील के किसानों पर प्राकृतिक संकट का साया हटने का नाम नही ले रहा है, इस वर्ष तहसील के अनेक किसानों ने खेतों में बोई ग्रिष्मकालीन सोयाबीन और मुंग की फसल पर भी करपा रोग का प्रकोप छा चुका है, जिससे इस फसल के पुरी तरह सुख जाने से किसानों को लाखों रुपयों का नुकसान पहूंचा है.

    कपास का उत्पादन होने के बाद अनेक किसानों ने खेतों में ग्रीष्मकालीन सोयाबीन और मुंग की फसल बोई थी, हर वर्ष इसका अच्छा उत्पादन होने से किसानों को आर्थिक राहत मिलती थी, लेकिन इस वर्ष करपा रोग के प्रकोप की चपेट में यह दोनों फसलें आ गए, पुरी तरह सोयाबीन और मुंग इस बिमारी से खराब हो चुकी है, जिससे किसानों पर आर्थिक संकट छा चुका है.अनेक किसान इसी फसल के बलबुते आगामी खरीफ फसल बुआई के लिए आर्थिक जुगत की आस में थे, लेकिन फसल पर छायी इस बिमारी ने किसानों की आस पर पानी फेर दिया है.

    प्राप्त जानकारी के मुताबिक तहसील के कुंभा निवासी किसान अमोल चौधरी ने इस वर्ष जिले के सीमा पर स्थित हिंगणघाट तहसील के निकट ढीवरी.पिपरी में 4 एकड खेत में ग्रिष्कालीन सोयाबीन फरवरी माह में बोई थी, 15 दिनों के बाद यह फसल हरी होने के बाद उनकी आस बढी, लेकिन कुछ दिनों में ही सोयाबीन की फसल पर करपा ने हमला करने से इस किसन को लगभग 3 लाख रुपयों का नुकसान पहूंचा, कमोबेश यही हालत सभी ग्रिष्मकालीन फसल लेनेवाले किसानों की हो चुकी है.

    तहसील में हर वर्ष, कपास, तुअर और सोयाबीन की बुआई बडे पैमाने पर होती है, इस वर्ष किसानों को कपास का अच्छा दाम मिला, लेकिन गुलाबी ईल्लीयों के कारण कपास उत्पादन में भारी गिरावट आयी, हर वर्ष गुलाबी ईल्लीयों से हो रहा नुकसान कुछ पैमाने पर भरा जा सके, इस उम्मीद में किसानों ने सोयाबीन और मुंग यह प्रमुख फसल ग्रिष्मकाल में बोई, लेकिन इस वष अनेक किसानों के खेतों में इन दिनों फसलों का नुकसान होने से बलीराजा संकट में आ चुका है, जिससे सरकारी स्तर पर बाधित किसानों को मदद देने की मांग क्षेत्र के किसान कर रहे है.