Wholesale-Inflation

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    यवतमाल. बाजार में हर दिन कुछ जिंसों के बढ़ते दाम की तस्वीर देखने को मिल रही है. गैस बढ़ी है, तेल बढ़ा है, पेट्रोल डीजल बढ़ा है और अब सब्जियां भी बढ़ी हैं. इन सब महंगाई का असर आम बजट पर पड़ा है. सरकार गैस, तेल, पेट्रोल और डीजल की कीमतों को नियंत्रित कर सकती है.

    हालांकि, जैसा कि अभी तक कोई रणनीतिक निर्णय घोषित नहीं किया गया है, दिवाली से पहले आम जनता दिवालिया हो गई है. वापसी की लगताार बारिश ने सब्जी क्षेत्र को तबाह कर दिया. इससे सब्जियों के दाम बढ़ गए हैं. फिलहाल पड़ोसी राज्यों और कुछ जिलों से सब्जियां आ रही हैं. इससे बिक्री प्रभावित हुई.

    पहले 5-10 रुपये किलो मिलनेवाले प्याज की कीमत 50 रुपये किलो पहुंच गई है. प्याज और लहसुन की कीमतों में भी तेजी आई है. लहसुन 80 रुपये किलो खरीदना पड़ रहा है. किचन में इन दोनों चीजों के महंगे होने से गृहिणी का बजट बढ़ गया है. होटल व्यवसायी के व्यंजनों की कीमत भी बढ़ गई है.

    बैंगन, शेवगे की सब्जी थाली से गायब हो गई है. दैनिक भोजन में सब्जियां कीमतों में वृद्धि के कारण कई सब्जियां थाली से गायब हो गई हैं. बैंगन और शेवगा की कीमतें बढ़ गई हैं. तो रोज़मर्रा के खाना पकाने में स्वाद लानेवाली हरा धनिये की कीमत 60-80 रुपये प्रति किलो हो गई है. वापसी की लगातार बारिश ने सब्जी उत्पादकों को नुकसान हुआ है. जिससे किसानों के पास अब सब्जि की फसल नहीं बची है. 

    अब सब्जी ही नहीं दाल-आटे के दाम भी किसानों की पहुंच से बाहर होते जा रहे हैं. इसका असर गृहणियों के बजट पर पड़ा है. गैस की किमते बढ गई, लेकिन चूल्हे पर खाना भी नहीं पका सकते. सब्जियों के दाम काफी बढ़ गए हैं. यह वृद्धि कृत्रिम नहीं है. तेल की कीमतें बजट से बाहर हैं. गैस भी महंगी इसका असर दिवाली बजट पर पड़ रहा है.

    वसुंधरा देशमुख, गृहिणी.