Vijayan

    Loading

    तिरुवनंतपुरम: केरल (Kerala) में विपक्षी दल कांग्रेस (Congress) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने लोकायुक्त अधिनियम में संशोधन संबंधी वाम सरकार के कथित फैसले का मंगलवार को विरोध किया और कहा कि यह लोकायुक्त की शक्तियों को ‘कमजोर’ करने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए है।  कांग्रेस ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से इस संबंध में अध्यादेश पर हस्ताक्षर नहीं करने का आग्रह किया। 

    दोनों विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नीत सरकार ऐसे समय में एक अध्यादेश ला कर लोकायुक्त की शक्तियों पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रही है जब सरकार की कई अनियमितताओं की शिकायतें उनके समक्ष लंबित हैं।

    मंत्रिमंडल की पिछली बैठक के दौरान अध्यादेश को कथित तौर पर मंजूरी दी गई थी, लेकिन बाद में सरकार द्वारा बैठक के संबंध में दी गई जानकारी में इसका कोई जिक्र नहीं था। राज्यपाल से अध्यादेश को मंजूरी नहीं देने की अपील करते हुए विपक्ष के नेता वी. डी. सतीसन ने उन्हें एक पत्र भेजकर कहा कि यह कदम लोकायुक्त की शक्तियों को कम करने के लिए उठाया गया है।

    केरल लोकायुक्त अधिनियम, 199 की धारा 3 का उल्लेख करते हुए, सतीसन ने बताया कि एक व्यक्ति को केवल तभी लोकायुक्त के रूप में नियुक्त किया जा सकता है जब उन्होंने पहले उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया हो।

    कांग्रेस नेता ने पत्र में कहा कि उच्च न्यायालय के किसी भी पूर्व न्यायाधीश को पद ग्रहण करने की अनुमति देने के लिए इस प्रावधान को कमजोर करने से राज्य के सबसे महत्वपूर्ण संस्थान का दर्जा कम हो जायेगा। उन्होंने राज्यपाल से जनहित को ध्यान में रखते हुए अध्यादेश को मंजूरी नहीं देने का अनुरोध किया।

    पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमेश चेन्नीथला ने भी इस कथित कदम पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि ऐसे समय में जब राज्य विधानसभा का सत्र अगले महीने आयोजित किया जाना है तो किस आपात स्थिति में उन्हें अध्यादेश लाना पड़ा।

    इस बीच, भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख के. सुरेंद्रन ने आरोप लगाया कि सरकार ने जल्दबाजी में फैसला लिया क्योंकि लोकायुक्त सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के कुछ बड़े घोटालों पर विचार कर रहा था। उन्होंने कहा कि यह कदम सभी संवैधानिक संस्थानों पर नियंत्रण करने के लिए वाम सरकार का नया उदाहरण है।(एजेंसी)