People of Bihar are getting arsenic-rich water, becoming victims of cancer, Tejashwi said – Government serious
Photo: @ANI/ Twitter

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    पटना: बिहार राज्य के कई गावों में आर्सेनिक युक्त पानी पीने से कैंसर का खतरा बढ़ रहा है। इस वजह से देशभर में कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ोतरी दिख रही है। प्रदेश में हर पांच से आठ मिनट में एक मरीज की मौत होने कि खबरे सामने आ रही है। वहीं, कैंसर के मामले में बिहार देश का चौथा सबसे बड़ा राज्य है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में सालाना एक लाख से ज्यादा कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं। इन राज्यों में कैंसर से होने वाली मौतें भी सबसे ज्यादा हैं। बात करें साल 2022 की तो बीते साल इस बीमारी से मृत्यु के मामले में बिहार राज्यों में चौथे स्थान पर है। 

    खबरों के मुताबिक, बिहार में कैंसर के मामले बढ़ने का सबसे बड़ी वजह आर्सेनिक युक्त पानी है। गंगा के किनारें  बसे गांव के लोग आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर हैं। इन क्षेत्र के लोगों ने कहा कि, वे इस पानी को वर्षों से पी रहे हैं। निचले स्तर पर बोरिंग के कारण पानी में आर्सेनिक की मात्रा अधिक है। लोगों का आरोप है कि सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार होता है। एक ग्रामीण ने कहा कि, ”पहले हमने मनेर में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ। आज कई ग्रामीण कैंसर से पीड़ित हैं।”

    गांव के मुखिया शैलेश कुमार के मुताबिक, ‘इसी पानी की वजह से उनके माता-पिता की भी कैंसर से मौत हो गई थी। पूरे गांव में सैकड़ों परिवार ऐसे हैं जिनके घरों में कैंसर के मरीज हैं। यहां के पानी से आर्सेनिक खत्म करने के लिए सरकार की ओर से कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। जमीन से निकलने वाले पानी का रंग लाल और पीला था। यहां के लोग इस तरह का पानी पीने को मजबूर हैं।’

    दानापुर के एसडीएम प्रदीप सिंह ने इस मामले को लेकर कहा कि,  ‘मैंने मनेर अनुमंडल के 73 गांवों में आर्सेनिक भूजल की शिकायत के बारे में मीडिया रिपोर्ट देखी है।’ उन्होंने कहा, ‘हमारा हमेशा प्रयास रहा है कि लोगों को रहने के लिए शुद्ध वातावरण मिले। जल जीवन हरियाली जैसी योजनाओं को धरातल पर ठीक से लागू किया जाए। हमें इसकी शिकायतें मिली हैं। हम इसकी जांच प्रखंड अधिकारी और प्राथमिक चिकित्सा अधिकारी से कराएंगे। ऐसे मामलों की मॉनिटरिंग जिला स्तर पर की जाती है। अगर कोई आकर हमसे मिलता है या लिखित में शिकायत देता है तो हम उसकी जांच जरूर कराएंगे।’ 

    राज्य के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, ‘हमारी सरकार इस मामले को लेकर गंभीर है। हम टाटा मेमोरियल अस्पताल के साथ कैंसर के इलाज पर काम कर रहे हैं। हम राज्य के छह मेडिकल कॉलेजों में यह सेवा दे रहे हैं। राज्य के 38 जिलों में प्रारंभिक अवस्था में पता लगाने के लिए कैंसर की दवा मॉर्फिन और परीक्षण सुविधाएं प्रदान करने जा रहे हैं।”