Band, Baaja, Baraat

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    -राजेश मिश्र

    लखनऊ : दो साल के ठंडे कारोबार (‍Business) के बाद बीते साल नवंबर में शादी (Marriage) के सीजन में आई रौनक इस साल जनवरी में फिर गायब होने लगी है। कोरोना (Corona) की तीसरी लहर (Third Wave) में एक बार फिर से बैंड, बाजा, बारात (Band, Baaja, Baraat) का धंधा चौपट होने लगा है। लगातार दो साल कोविड (Covid) में न के बराबर धंधा होने के बाद इस बार इसके कारोबार के बामुश्किल 30-40 फीसदी होने की संभावना जताई जा रही है।

    कोरोना की तीसरी लहर के चलते लगे प्रतिबंधों के बाद कैटरिंग, गेस्ट हाउस, होटल, फूल, शामियाने का कारोबार करने वालों के अरमानों पर पानी फिरा है। बैंड बाजा वालों से लेकर लाइट और डीजे वालों पर भी संकट के बादल छा गए हैं। दिसंबर 13 के बाद से बंद शादी-ब्याह अब 23 जनवरी से फिर से शुरु हो गए हैं। बीते साल नवंबर और दिसंबर के दूसरे हफ्ते तक चले शादी में जहां दो सालों के कोरोना ब्रेक के बाद रौनक नजर आई थी, वहीं इस बार के सीजन में य़ह गायब रहने वाली है।

    उत्तर प्रदेश सरकार ने लगाए हैं प्रतिबंध

    उत्तर प्रदेश सरकार ने शादी ब्याह और अन्य इस तरह के आयोजनों में शामिल होने वालों की तादाद सीमित कर 100 कर दी है। खुले में होने वाले आयोजनों पर भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं। प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रशासन की ओर से भीड़-भाड़ वाले आयोजनों में लोगों का चालान भी किया जा रहा है। खुद लोगों की ओर से भी शादी-ब्याह के आयोजनों को भव्य के बजाय सादे तरीकों से निपटाने की प्रवृत्ति देखी जा रही है। बहुत से लोग तो आयोजनों को आगे भी बढ़ा रहे हैं।

    कई बुकिंग हुई रद्द

    राजधानी लखनऊ में उत्सव मैरिज लान ने नरेंद्र वर्मा बताते हैं कि 23 जनवरी से फरवरी तक की कुल 12 बुकिंग में से आधी रद्द हो गयी है। जो शादियां हो भी रही हैं उनमें भी तामझाम न के बराबर रहेगा। कैटरिंग के लिए बुकिंग घटी है तो सजावट भी कम करवाई जा रही है। होटलों में भी जिन शादियों के लिए बुकिंग थी उनमें से काफी रद्द कराई जा रही हैं। वेडिंग प्लानर पार्थ का कहना है कि लोगों में भय है कि कहीं आने वाले समय में कोरोना ने रफ्तार पकड़ी तो सरकार प्रतिबंधों को और कड़ा कर सकती है। उनका कहना है कि अप्रैल-मई में महामारी की रफ्तार मंद रहने के आकलन के चलते लोग शादी ब्याह को टाल रहे हैं।

    बहुत लोगों ने छोड़ा बैंड बजाने का काम

    उधर, बैंड बाजा वालों का दर्द दूसरा है। उनका कहना है कि दो सालों में धंधा बिलकुल चौपट हुआ है और अब जो थोड़ी बहुत बुकिंग मिल भी रही है वो काफी कम दामों पर। राजधानी में नाका चौराहे पर जयसोनी ब्रास बैंड के प्रशांत कुमार कहते हैं कि लगातार मुफलिसी झेलने के बाद बहुत से बैंड के साथी काम धाम छोड़ चुके हैं। डीजे ने पहले ही धंधा खराब कर दिया था और अब कोरोना के प्रतिबंधों ने रही सही कसर पूरी कर दी है। प्रशांत कहते हैं कि 20000 रुपए न्यूनतम से शुरु होने वाली बुकिंग आज 12000 रुपए में हो रही है। बैंड सदस्यों की तादाद घटाकर किसी तरह लागत निकालनी पड़ रही है।

    जनवरी के हाल बुरे हो गए 

    वहीं, कैटरिंग का काम करने वाले शंकर का कहना है कि इस साल नवंबर और दिसंबर में लगा था कि धंधा पुरानी रफ्तार में आ जाएगा और दो सालों का घाटा पूरी तरह से तो नहीं पर कुछ तो पूरा हो जाएगा। हालांकि जनवरी के हाल बुरे हो गए हैं। शंकर का कहना है कि 100-200 लोगों की बुकिंग में बचत के नाम पर कुछ हाथ नहीं आता है पर धंधा चलाने के लिए वह भी कर रहे हैं।