Durga Shankar Mishra

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र (Durga Shankar Mishra) की अध्यक्षता में पांचवी कार्यक्षमता वृद्धि व्याख्यानमाला आयोजित की गई। व्याख्यानमाला में हेड नेक कैंसर सर्जन एवं टाटा मेमोरियल सेंटर, मुंबई के डिप्टी डायरेक्टर प्रोफेसर पंकज चतुर्वेदी (Professor Pankaj Chaturvedi) ने ‘कैंसर पर जीत’ (Victory over Cancer) विषय पर प्रस्तुतीकरण दिया। अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि हमें कैंसर से घबराने की जरुरत नहीं हैं। यदि पहली स्टेज में कैंसर (Cancer) की पहचान हो जाए, तो कैंसर का इलाज संभव है। कैंसर से डरने की जरूरत नहीं है, कैंसर लाइलाज बीमारी नहीं है, कैंसर का इलाज संभव है। 

उन्होंने कहा कि शासकीय पद पर कार्य करने वाले व्यक्ति की बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। आज एक नया उत्तर प्रदेश है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमृतकाल में देश को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है। ऐसे में सरकारी सेवकों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है, क्योंकि शासन की नीतियों को बनाने तथा उसे धरातल पर उतराने में उनकी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है। उन्होंने अधिकारियों से अपील की कि वह पान, गुटखा और मसाला का सेवन न करें और अन्य लोगों को भी इसके लिये प्रेरित करें, क्योंकि इनके सेवन से माउथ कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।

हर एक परिवार को आवास दिया गया है

उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत देश में हर घर में शौचालय उपलब्ध है, किसी को भी शौच के लिए अब बाहर जाने की जरूरत नहीं है। इसी तरह प्रधानमंत्री आवास योजनान्तर्गत के अंतर्गत हर एक परिवार को आवास दिया गया है। आज देश में लगभग 3 करोड़ मकान और उत्तर प्रदेश में 50 लाख आवासों का निर्माण हो चुका है। हर आवास में शौचालय और स्नान की सुविधा उपलब्ध है। 

कैंसर की बीमारी को बढ़ने से पहले ही रोका जा सकता है

इससे पूर्व, हेड नेक कैंसर सर्जन और टाटा मेमोरियल सेंटर, मुंबई के डिप्टी डायरेक्टर प्रोफेसर पंकज चतुर्वेदी ने बताया कि अस्पतालों में इलाज ले रहे मरीजों में सबसे ज्यादा संख्या माउथ कैंसर और स्तन कैंसर वालों की है। उन्होंने कहा कि कैंसर की बीमारी को बढ़ने से पहले ही रोका जा सकता है। इसका इफेक्टिव मैनेजमेंट किया जा सकता है, इसलिये लक्षण दिखने पर लोगों को जांच के लिए आगे आना चाहिये। पान-मसाला खाने वाले व्यक्तियों को मुंह के अन्दर किसी स्थान पर सफेद दाग दिखायी दे, तो वह उसे अनदेखा न करें, तत्काल डॉक्टर से परामर्श करें। सभी को जंक फूड खाने से परहेज करना चाहिए, इससे मोटापा बढ़ता है और मोटापे से कैंसर जैसी बीमारी होने की संभावना भी बढ़ जाती है। 

सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्णतया बैन लगे

उन्होंने कहा कि प्रदेश में राज्य को कैंसर के रोकथाम के लिए नीतिगत कदम उठाना चाहिए। इलाज के लिए गुणवत्ता परक संस्थान और प्रोटोकॉल तय किए जाएं। स्वास्थ्य केन्द्रों में कैंसर स्क्रीनिंग की सुविधा होनी चाहिए। जनता में जागरूकता अभियान खासकर बच्चों और युवाओं में उत्तम जीवन शैली को बढ़ावा (मानसिक एवं शारीरिक स्वच्छता) दिया जाना चाहिए। सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया जाना चाहिये। 

कोशिकाएं नियंत्रित तरीके से बढ़ती हैं और विभाजित होती हैं

उन्होंने बताया कि हमारे शरीर की कोशिकाएं नियंत्रित तरीके से बढ़ती हैं और विभाजित होती हैं। जब सामान्य कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है या कोशिकाएं पुरानी हो जाती हैं, तो वे मर जाती हैं और उनकी जगह स्वस्थ कोशिकाएं जन्म लेती हैं। कैंसर में कोशिका के विकास को नियंत्रित करने वाले संकेत ठीक से काम नहीं करते हैं। कैंसर की कोशिकाएं बढ़ती रहती हैं और जब उन्हें रुकना चाहिए तो कई गुना बढ़ जाती हैं। दूसरे शब्दों में कहें, तो कैंसर कोशिकाएं स्वस्थ कोशिकाओं वाले नियमों का पालन नहीं करती हैं। उन्होंने बताया कि हर एक कोशिका ऐसे जींस से नियंत्रित होती हैं, जो कोशिकाओं को निर्देश देते हैं कि उन्हें कैसे काम करना है, कब बढ़ना और कब विभाजित होना है। कैंसर शरीर की अपनी ही कोशिकाओं से विकसित होता है, किसी एक कोशिका के जीन के भीतर आने वाले बदलाव के साथ ही इसकी शुरुआत होती है। अनुवांशिक बदलाव या म्यूटेशन (कोशिका में आने वाली तब्दीली या हेर-फेर) किसी कोशिका के सामान्य कार्य में हस्तक्षेप कर सकते हैं। ज्यादातर तब्दीलियां नुकसान नहीं पहुंचाती हैं, लेकिन कभी-कभी ये कोशिका के विकास को नियंत्रित करने में अड़चन पैदा कर देती हैं। ऐसा कभी-कभार ही होता है कि जीन में बदलाव सिर्फ़ इसलिए आएं क्योंकि माता-पिता के साथ भी ऐसा ही हुआ था। ज्यादातर हेर-फेर अनायास होते हैं, वह भी तब, जब कोशिकाएं अलग-अलग हिस्सों में बंटती हैं, इतना ही नहीं, ये फेर-बदल ग़लती से होते हैं और अचानक होते हैं।

कई शोध, क्लिनिकल ट्रायल में अहम भूमिका निभा चुके हैं डॉ. पंकज चतुर्वेदी

अपने स्वागत भाषण में प्रमुख सचिव सचिवालय प्रशासन  के. रवीन्द्र नायक ने बताया कि कैंसर रोकथाम के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाने के लिए प्रो. पंकज चतुर्वेदी को 32 देशों के 44 संस्थानों में बतौर विजिटिंग फैकल्टी बुलाया जा चुका है। वहीं गले और सिर के कैंसर के टेक्स्टबुक के वह संपादक भी हैं। साथ ही इंटरनैशनल जर्नल ऑफ हेड ऐंड नेक के संयुक्त संपादक भी हैं। इसके अलावा कई शोध, क्लिनिकल ट्रायल इत्यादि में भी डॉ. पंकज अहम भूमिका निभा चुके हैं। तंबाकू पर रिसर्च करने के लिए डॉ. चतुर्वेदी को प्रतिष्ठित एनआईएस आर-01 ग्रांट भी मिल चुका है। ओरल कैंसर से जुड़े तमाम असोसिएशन के सदस्य होने के साथ ही कई अंतर्राष्ट्रीय एसोसिएशन के प्रमुख के रूप में भी प्रो. पंकज चतुर्वेदी कार्यरत हैं, जबकि कई बड़े सम्मान से भी इन्हें नवाजा जा चुका है। इस अवसर पर हाल में उपस्थित अधिकारियों ने प्रोफेसर पंकज चतुर्वेदी से सवाल भी पूछे और उन्होंने उनकी शंकाओं का समाधान किया।