Power Crisis in UP

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    -राजेश मिश्र

    लखनऊ: लगातार चढ़ते पारे, बिजलीघरों में घटते जा रहे कोयले (Coal) के चलते उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में जबरदस्त बिजली संकट (Power Crisis) पैदा हो गया है। हालात में सुधार को न देखते हुए और त्योहारों पर और भी बढ़ती मांग को देखते हुए प्रदेश सरकार ने बाहर से खरीद कर करीब 2,000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली का इंतजाम किया है। हालांकि इन सबके बाद भी गांवों (Villages) और शहरों (Cities) में बिजली आपूर्ति का हाल बुरा है। गांवों में पहले के 16 घंटों के मुकाबले महज 8-9 घंटे बिजली दी जा रही है, जबकि शहरों में भी 4 से 8 घंटे की नियमित कटौती (Power Cut) की जा रही है।

    सोमवार को ही योगी सरकार ने सिक्किम, हिमाचल से 400 मेगावाट, मध्य प्रदेश से 325 मेगावाट और राजस्थान से 283 मेगावाट बिजली की व्यवस्था की है जो संकट टलने तक जारी रहेगी। इसके अलावा खुली निविदा के जरिए 430 से 950 मेगावाट बिजली की खरीद की जा रही है। प्रदेश में जबरदस्त गर्मी और लू के चलते मांग अब तक के सबसे उच्चतम स्तर पर 23000 मेगावाट पर पहुंच गयी है वहीं आपूर्ति 20000 मेगावाट से भी कम है।

    एनटीपीसी ने ऊंचाहार इकाई के प्रमुख को हटाया 

    इस बीच, बिजली संकट को देखते हुए नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) ने उत्तर प्रदेश में ऊंचाहार इकाई के प्रमुख को हटा दिया है। ऊंचाहार इकाई के प्रमुख कमलेश सोनी को हटाकर मुंबई में क्षेत्रीय कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। उनके स्थान पर झांरखंड से अभय कुमार को भेजा गया है। प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी बिजलीघरों में कर्मचारियों को छुट्टी लेने से मना करते हुए अतिरिक्त घंटे काम करने को कहा है।

    सड़क मार्ग से कोयला मंगाने की व्यवस्था की जाए

    प्रदेश के ताप बिजली घरों में कोयले की आपूर्ति की समस्या के मद्देनजर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सड़क मार्ग से ढुलाई के आदेश दिए हैं। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद शर्मा ने उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम के अधिकारियों से कहा है कि रेलवे पर निर्भरता के साथ ही सड़क मार्ग से कोयला मंगाने की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सबसे बड़े ताप बिजलीघर अनपरा में सड़क मार्ग से कोयला मंगाया जाएगा। अनपरा से प्रतिदिन 2,360 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है जो प्रदेश में पैदा होने वाली सरकारी क्षेत्र की खुल बिजली का आधा है।

    बिजली की मांग में बेतहाशा इजाफा 

    ऊर्जा मंत्री का कहना है कि बिजली की मांग में इस साल पहले के मुकाबले बेतहाशा इजाफा हुआ है। जहां बीते तीन सालों में गर्मियों में बिजली की मांग 17,000 मेगावाट के आसपास रहती थी, वहीं इस बार इसमें 5,000 मेगावाट का इजाफा हुआ है। बीते शनिवार को प्रदेश में अब तक की सबसे ज्यादा 23,000 मेगावाट बिजली की मांग रही है। अधिकारियों का कहना है कि मांग औऱ आपूर्ति में इसी भारी अंतर के चलते इस बार प्रदेश में अभूतपूर्व बिजली संकट की स्थिति बनी है। 

    बिजली कटौती का सिलसिला लंबे अरसे के बाद शुरु 

    हालात यह है कि कटौती से मुक्त रखे गए जिला मुख्यालयों पर इस समय औसतन 4 से 6 घंटे तक बिजली नहीं दी जा रही है। गांवों में जहां रोस्टर के मुताबिक, 16 घंटे बिजली देने का आदेश है वहां बामुश्किल 8 से 9 घंटे की बिजली दी जा रही है। राजधानी लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर जैसे महानगरों में बिजली कटौती का सिलसिला लंबे अरसे के बाद शुरु हुआ है।

    बिजली की मांग और आपूर्ति में 3,634 मेगावाट का अंतर रहा

    ऊर्जा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में सरकारी ताप बिजलीघरों से 4,300 मेगावाट के करीब उत्पादन हो रहा है, जबकि हाइड्रो यूनिटों से 366 मेगावाट बिजली पैदा की जा रही है। प्रदेश को इस समय केंद्रीय कोटे से 8,500 मेगावाट बिजली मिल रही है, जबकि निजी बिजलीघरों से 6,200 मेगावाट बिजली की आपूर्ति की जा रही है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि केंद्रीय कोटे से मिलनी वाली बिजली पूरी नहीं मिल पा रही है और कई सरकारी ताप बिजलीघरों की इकाईयां खराबी के कारण बंद हुई हैं। कुल मिलाकर इस सप्ताह की शुरुआत में प्रदेश में बिजली की मांग औऱ आपूर्ति में 3634 मेगावाट का अंतर रहा है।