HARISHANKAR TIWARI FAMILY NEWS

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    -राजेश मिश्र

    लखनऊ : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी सरकार (Yogi Government) को ठाकुर समर्थक और ब्राह्म्ण विरोधी सबित करने में जुटी समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को पूर्वांचल (Purvanchal) में बड़ी संजीवनी मिल सकती है। पूर्वांचल के बाहुबली और असरदार ब्राह्म्ण चेहरे हरिशंकर तिवारी (Harishankar Tiwari) के परिवार के सदस्य जल्द समाजवादी पार्टी के साथ दिख सकते हैं।

    तिवारी परिवार के समाजवादी पार्टी में जाने की चर्चाओं के बीच बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती ने उन्हें निष्कासित कर दिया है। हरिशंकर तिवारी के बेटे और गोरखपुर के चिल्लूपार सीट से विधायक विनय शंकर तिवारी, बड़े बेटे और पूर्व सांसद कुशल शंकर तिवारी सहित भतीजे गणेश शंकर पांडे को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इन सभी के बीते दिनों समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव से मिलने और दलबदल की बातें सामने आयी थीं। 

    बसपा के ब्राह्म्णों को जोड़ने की मुहिम को बड़ा धक्का लगा

    तिवारी परिवार के बसपा से बाहर होने के बाद पार्टी के ब्राह्म्णों को जोड़ने की मुहिम को बड़ा धक्का लगा है, वहीं समाजवादी पार्टी को पूर्वांचल में मुख्यमंत्री योगी के विरोध में एक बड़ा नाम मिल गया है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में हरिशंकर तिवारी का कुनबा समाजवादी पार्टी में दिखेगा और पूर्वांचल में प्रचार करेगा।

    समाजवादी पार्टी को पूर्वांचल में हो सकता है फायदा

    ब्राह्म्ण बनाम ठाकुर की राजनीति में फंसी भाजपा के लिए तिवारी परिवार का समाजवादी पार्टी में जाना परेशानी का सबब हो सकता है। समाजवादी पार्टी के पास पूर्वांचल में कोई असरदार ब्राह्म्ण चेहरा नहीं था। पूरे पूर्वांचल में योगी के ठाकुर कार्ड के खिलाफ ब्राह्म्णों की लामबंदी सपा, बसपा से लेकर कांग्रेस तक कर रहे हैं। बसपा के पास जहां तिवारी जैसा चेहरा था, वहीं समाजवादी पार्टी के पास इस तरह का कोई बड़ा नाम नहीं था। अब अगर हरिशंकर तिवारी का परिवार समाजवादी पार्टी में आता है तो उसे न केवल पूर्वांचल में मजबूती मिलेगी, बल्कि मध्य यूपी में भी ब्राह्म्णों के बीच अपनी पैठ बनाने में फायदा मिलेगा।

    हरिशंकर तिवारी जाना पहचाना और प्रतिष्ठित चेहरा

    हरिशंकर तिवारी परिवार के समाजवादी पार्टी के साथ होने का असर गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बस्ती, संत कबीरनगर, महराजगंज, बलिया, सिद्धार्थनगर से लेकर गोंडा और बलरामपुर की सीटों पर पड़ सकता है। इन जिलों में ब्राह्म्णों के बीच हरिशंकर तिवारी जाना पहचाना और प्रतिष्ठित चेहरा हैं। योगी सरकार में खुद के और पूरे ब्राह्म्ण समाज के उत्पीड़न का मुद्दा उठा कर वह भाजपा के लिए परेशानी खड़ी करेंगे। खुद परिवार के सदस्य कम से पूर्वांचल की तीन सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। पूर्वांचल के बाहुबली हरिशंकर तिवारी बड़े ब्राह्म्ण चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं। उनके परिवार में खुद हरिशंकर तिवारी कई बार विधायक और राज्य सरकार में मंत्री रह चुके हैं तो वर्तमान में छोटे बेटे विनयशंकर तिवारी चिल्लूपार विधानसभा सीट से बसपा विधायक हैं। बड़े बेटे भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी पूर्वांचल की खलीलाबाद सीट से दो बार सांसद रह चुके हैं और 2014 और 2019 में बसपा के टिकट पर हार कर दूसरे स्थान पर रहे हैं।

    भाजपा को कई सीटों पर परेशानी होगी

    बीते डेढ़ दशक से विनयशंकर तिवारी और कुशल तिवारी बसपा में रह कर पूर्वांचल में ब्राह्म्णों को जोड़ने की मुहिम में लगे थे। वर्तमान में पूरे गोरखपुर जिले से विनय शंकर तिवारी विपक्ष के इकलौते विधायक हैं। हरिशंकर तिवारी के भतीजे गणेश शंकर पांडे विधान परिषद के उपसभापति रह चुके हैं। गणेश कई बार स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद सदस्य का चुनाव जीत चुके हैं। गोरखपुर और पूर्वाचल की राजनीति में हरिशंकर तिवारी परिवार की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पुरानी अदावत रही है। योगी के मुख्यमंत्री बनते ही प्रदेश सरकार ने हरिशंकर तिवारी के घर और दफ्तर पर छापे डलवा दिए थे। गोरखपुर में हाता के नाम से जाने जाने वाले हरिशंकर तिवारी के निवास पर भारी पुलिस बल के छापा डालने के बाद पूर्वांचल के ब्राह्म्णों में उबाल आ गया था। छापों के विरोध में गोरखपुर में विरोध प्रदर्शन हुआ था और खुद हरिशंकर तिवारी ने विरोध मार्च की अगुवाई जिलाधिकारी कार्यालय तक की थी। गोरक्षनाथ पीठ और तिवारी परिवार के इस अदावत का असर पूर्वांचल के ब्राह्म्णों में साफ देखा जा सकता है और भाजपा को कई सीटों पर परेशानी होगी।