लखीमपुर खीरी कांड: अदालत ने मुकदमे में हत्या के प्रयास की धारा जोड़ने की दी इजाजत

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    लखीमपुर खीरी/लखनऊ (उत्तर प्रदेश). लखीमपुर खीरी जिले की एक अदालत ने पिछली तीन अक्टूबर को तिकोनिया क्षेत्र में हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत के मामले की तफ्तीश कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) को मुकदमे में हत्या का प्रयास की धारा जोड़ने की मंगलवार को इजाजत दे दी। एसआईटी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत से तिकोनिया मामले में धारा 279 (लापरवाही से गाड़ी चलाना), 338 (लापरवाही के कारण गम्भीर चोट पहुंचाना) और 304-अ (लापरवाही के कारण मौत) जैसे कम गंभीर आरोपों को धारा 307 (हत्या के प्रयास) से बदलने का आग्रह किया था।

    एसआईटी ने मुकदमा दर्ज करते वक्त धारा 302 (हत्या), 147 (बलवा), 148 (घातक हथियार लेकर बलवा), 149 (विधि विरुद्ध जनसमूह के किसी सदस्य द्वारा उस जनसमूह के समान लक्ष्य का अभियोजन करने में कोई अपराध किया जाना) और 120-ब (आपराधिक साजिश) की धाराएं लगायी थीं। एसआईटी ने मामले के 13 अभियुक्तों के वारंट में धारा 326 (खतरनाक हथियारों से जानबूझकर चोट पहुंचाना), 34 (साझा मंशा से अनेक लोगों द्वारा कृत्य करना) और शस्त्र अधिनियम की धारा 3/25/30 को भी जोड़ने की सिफारिश की थी।

    वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी (एसपीओ) एस.पी. यादव ने ‘भाषा’ को बताया, “मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चिंता राम ने विशेष जांचकर्ताओं को मुकदमा संख्या 219 में 13 अभियुक्तों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 307, 326 और शस्त्र अधिनियम की धारा 3/25/25 को जोड़ने की अनुमति दे दी। केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा का बेटा आशीष इस मामले में मुख्य अभियुक्त है।”

    उन्होंने कहा, “अभियोजन और बचाव पक्ष के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मंगलवार को मुकदमे से धारा 279, 338 और 304-अ हटाने की भी अनुमति दे दी।”

    तिकोनिया हिंसा मामले में मुकदमा संख्या 219 के सभी 13 अभियुक्तों को मंगलवार को अदालत में पेश किया गया। वे सभी तिकोनिया में पिछली तीन अक्टूबर को हुई हिंसा में चार किसानों और एक स्थानीय पत्रकार की मौत से संबंधित मुकदमे में आरोपी हैं। बचाव पक्ष के वकीलों ने अदालत में जिरह के दौरान भादंसं की धारा 34 और शस्त्र अधिनियम की धाराओं पर आपत्ति दर्ज करायी।

    एसपीओ ने बताया कि इस पर अदालत ने धारा 34 को असंगत माना क्योंकि अभियुक्तों को धारा 149 के तहत पहले ही रिमांड पर लिया जा चुका है। लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच कर रही एसआईटी ने अब तक की विवेचना और संकलित साक्ष्यों के आधार पर दावा किया है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र और उसके सहयोगियों द्वारा जानबूझकर, सुनियोजित साजिश के तहत घटना को अंजाम दिया गया।

    वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी एस.पी. यादव के मुताबिक एसआईटी के मुख्य विवेचक निरीक्षक विद्याराम दिवाकर ने मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट (सीजेएम) की अदालत में दिये गये आवेदन में आरोपियों के विरुद्ध उपरोक्‍त आरोपों की धाराओं के तहत मुकदमा चलाने का अनुरोध किया है। तीन अक्टूबर को खीरी में विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा मोनू समेत 13 अभियुक्तों पर जीप चढ़ाकर किसानों को कुचलने का आरोप है।

    यादव ने बताया कि विवेचक दिवाकर ने सीजेएम को दिये गये आवेदन में उपरोक्‍त मुकदमे का संदर्भ देते हुए कहा है कि मुकदमा अपराध संख्या 219/21 में धारा 147, 148, 149, 279, 338, 304 ए, 302 और 120 बी के तहत आशीष मिश्रा मोनू आदि के खिलाफ मामला पंजीकृत किया गया था। इसके तहत आरोपी आशीष मिश्रा समेत कुल 13 लोगों को उपरोक्‍त धाराओं में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया जो जिला कारागार में निरुद्ध हैं।

    एसपीओ के मुताबिक विवेचक ने सीजेएम को भेजे गये आवेदन में कहा है कि अब तक की विवेचना व संकलित साक्ष्यों से यह प्रमाणित हुआ है कि उपरोक्त अभियुक्तों ने वह आपराधिक कृत्य लापरवाही से नहीं बल्कि जानबूझकर पूर्व से सुनियोजित योजना के अनुसार जान से मारने की नीयत से किया है, जिससे पांच लोगों की मृत्यु हो गई और कई गंभीर रूप से घायल हुए हैं। गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया इलाके में तीन अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा का किसानों द्वारा किये जा रहे विरोध के दौरान भड़की हिंसा में चार किसान, एक पत्रकार, दो भाजपा कार्यकर्ताओं और एक वाहन चालक की मौत हो गई थी। इस संबंध में दो मुकदमे दर्ज किये गये थे।

    पहली प्राथमिकी संख्या 219/2021 किसान जगजीत सिंह ने चार किसानों और एक पत्रकार की मौत के मामले में दर्ज कराई थी। इसमें उसने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा उर्फ मोनू और 15 से 20 अन्य को आरोपी बनाया था। दूसरी प्राथमिकी संख्या 220/221 भाजपा कार्यकर्ता सुमित जायसवाल द्वारा भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक की मौत के मामले में दर्ज कराई गई थी, जिसमें उसने अज्ञात बदमाशों को आरोपी बनाया था।

    उत्तर प्रदेश सरकार ने दोनों मामलों की जांच के लिए नौ सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था। बाद में उच्चतम न्यायालय ने एसआईटी का पुनर्गठन किया। विशेष जांचकर्ताओं ने तीन अक्टूबर की हिंसा की जांच करते हुए आशीष मिश्रा उर्फ मोनू, सुमित जायसवाल, अंकित दास और अन्य सहित मुकदमा संख्या 219 में 13 लोगों की पहचान की और उन्हें गिरफ्तार किया, जबकि प्राथमिकी संख्या 220 में चार लोगों की पहचान की गई और उन्हें गिरफ्तार किया गया। सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं। इस बीच, कांग्रेस की महासचिव और उत्‍तर प्रदेश मामलों की प्रभारी प्रियंका गांधी वाद्रा ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री की भूमिका की भी जांच की मांग की है।

    वाद्रा ने सोमवार को ट्वीट किया ”न्‍यायालय की फटकार व सत्याग्रह के चलते अब पुलिस का भी कहना है कि गृह राज्य मंत्री के बेटे ने साजिश करके किसानों को कुचला था।” इसी ट्वीट में उन्होंने कहा, “जांच होनी चाहिए कि इस साजिश में गृह राज्य मंत्री की क्या भूमिका थी, लेकिन नरेंद्र मोदी जी किसान विरोधी मानसिकता के चलते आपने तो उन्हें पद से भी नहीं हटाया है।” (एजेंसी)