बीजेपी सांसद हरनाथ सिंह यादव (Photo Credits-Facebook)
बीजेपी सांसद हरनाथ सिंह यादव (Photo Credits-Facebook)

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    नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक सदस्य ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में मथुरा (Mathura) में श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद का मुद्दा उठाया और केंद्र सरकार के पूजा स्थल कानून, 1991 को अतार्किक और असंवैधानिक बताते हुए इसे समाप्त करने की मांग की। शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाते हुए भाजपा के हरनाथ सिंह यादव (BJP MP Harnath Singh Yadav) ने कहा कि यह कानून भगवान राम और भगवान कृष्ण में भेदभाव पैदा करता है।

    उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के पूजा स्थल कानून, 1991 में ‘‘मनमाने और असंवैधानिक” प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसमें प्रावधान किया गया है कि पूजा स्थलों की जो स्थिति 15 अगस्त 1947 को थी, उसमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इस कानून में अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि को अलग रखा गया है। यह प्रावधान संविधान में प्रदत्त समानता और जीवन के अधिकार का ना सिर्फ उल्लंघन करते हैं बल्कि धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का भी उल्लंघन करते हैं।”

     उन्होंने इसे संविधान की प्रस्तावना और मूल संरचना के विपरीत करार दिया और कहा कि इस कानून में कहा गया है कि श्रीराम जन्मभूमि मुकदमे के अतिरिक्त अदालतों में लंबित सभी ऐसे मुकदमे समाप्त माने जाएंगे। यादव ने कहा, ‘‘आश्चर्य का विषय है कि इस कानून में प्रावधान किया गया है कि इस कानून के खिलाफ कोई नागरिक अदालत में भी नहीं जा सकता है।”  

    उन्होंने कहा कि इस कानून का स्पष्ट अर्थ है कि ‘‘विदेशी आक्रांताओं द्वारा तलवार की नोंक पर श्रीकृष्ण की जन्मभूमि सहित अन्य स्थलों पर जो बलात कब्जा किया गया, उसे तत्कालीन सरकार ने कानूनी रूप दे दिया।” उन्होंने कहा, ‘‘इस अतार्किक और असंवैधानिक कानून के द्वारा हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध लोगों के धर्म पालन और प्रचार के अधिकार से वंचित किया गया है। यह कानून राम और कृष्ण के बीच भेदभाव पैदा करता है जबकि दोनों ही भगवान विष्णु के अवतार हैं।”  

    यादव ने कहा कि ‘‘समान कृत्य और सामान परिस्थितियों” के लिए दो कानून नहीं हो सकते और कोई भी सरकार न्यायालयों के दरवाजे अपने नागरिकों के लिए बंद नहीं कर सकती। उन्होंने कहा, ‘‘यह कानून पूर्णतया अतार्किक और असंवैधानिक है। यह हिंदू सिख, जैन और बौद्ध धर्म लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ क्रूरता है। इस कानून को अविलंब समाप्त किया जाना चाहिए।” कुछ विपक्षी दलों ने शून्यकाल में उठाए गए इस मामले पर आपत्ति जताई।  

    व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा ने कहा कि सद्भाव और सौहार्द की भावना को बनाए रखने के लिए 1991 का यह कानून संसद से पारित हुआ है और भाजपा के सांसद ‘‘भानुमति का पिटारा” (पेंडोराज बॉक्स) खोल रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘धार्मिक संघर्ष के नाम पर देश पहले ही बहुत कुछ झेल चुका है। हमें देश के सामाजिक तानेबाने में विध्न नहीं डालना चाहिए।” इस पर उपसभापति हरिवंश ने कहा कि यह व्यवस्था का प्रश्न नहीं बनता और जो मुद्दा सांसद यहां उठा रहे हैं, उसे सभापति ने नियमों के तहत मंजूरी दी है और अगर किसी का कोई मुद्दा है तो वह उन्हें लिख सकता है।   

    उल्लेखनीय है कि श्रीराम जन्मभूमि विवाद सुलझने के बाद से अब मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि का विवाद गरमाने लगा है और इसको लेकर मथुरा की अदालत में कई मामले दर्ज हैं। पिछले दिनों एक नया मामला भी दर्ज कराया गया है। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि अयोध्या और काशी में भव्य मंदिर निर्माण जारी है और मथुरा में मंदिर निर्माण की तैयारी की जा रही है।  मौर्य ने एक ट्वीट में कहा था, ‘‘अयोध्या, काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है, मथुरा की तैयारी है। जय श्रीराम, जय शिवशम्भू, जय श्री राधेकृष्ण।”

    हाल में अखिल भारत हिन्दू महासभा ने दावा किया था कि संगठन के पदाधिकारी, सदस्य एवं आम हिन्दू मतावलंबी जन छह दिसंबर को श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर स्थित शाही ईदगाह में भगवान लड्डूगोपाल का जलाभिषेक करेंगे। इसके बाद तो जैसे अनेक संगठनों, संस्थाओं आदि की ओर से श्रीकृष्ण जन्मभूमि एवं शाही ईदगाह को लेकर अनेक कार्यक्रमों की घोषणा करने की झड़ी से लग गई। हालांकि मथुरा जिला प्रशासन ने जिले में विभिन्न कारणों को लेकर 24 नवंबर से 21 जनवरी तक निषेधाज्ञा लागू कर ऐसे किसी भी कार्यक्रम के आयोजन पर रोक लगा दिया। (एजेंसी)