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मुंबई: यह इंटरनेट का युग है। सब कुछ इंटरनेट पर निर्भर है। अगर इंटरनेट की स्पीड स्लो है तो कई काम रुक जाते हैं। हालांकि अब आपको अच्छी इंटरनेट स्पीड मिलेगी। दरअसल, केंद्र सरकार ने ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की परिभाषा ही बदल दी है। केंद्र सरकार ने भारत में ब्रॉडबैंड की स्पीड बढ़ा दी है। टेलीकॉम यूजर्स को 512 केबीपीएस की जगह 2 एमबीपीएस की न्यूनतम स्पीड का भुगतान करना होगा। जो प्रस्तावित न्यूनतम गति से चार गुना से भी अधिक है। प्रत्येक दूरसंचार ऑपरेटर अपने ग्राहकों को उनके ब्रॉडबैंड कनेक्शन पर कम से कम 2 एमबीपीएस की गति प्रदान करने के लिए बाध्य है। भारत सरकार का 2 एमबीपीएस स्पीड का नियम तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। अब टेलीकॉम कंपनियों को ब्रॉडबैंड के लिए मिनिमम 2 एमबीपीएस की स्पीड देनी होगी। फिलहाल न्यूनतम डाउनलोड स्पीड 512 केबीपीएस तय की गई है। 

85 करोड़ ब्रॉडबैंड सब्सक्राइबर 

25 जनवरी को जारी एक नोटिफिकेशन के मुताबिक, भारत में करीब 85 करोड़ ब्रॉडबैंड सब्सक्राइबर हैं। इनमें से 825 मिलियन मोबाइल ब्रॉडबैंड का उपयोग करते हैं। इतना ही नहीं, 25 मिलियन लोगों के पास लैंडलाइन ब्रॉडबैंड है। अब कंपनियों को ब्रॉडबैंड स्पीड बढ़ानी होगी। ट्राई ने स्पीड बढ़ाने की सिफारिश की थी। ट्राई ने 2013 और 2021 में स्पीड बढ़ाने की सिफारिश की थी। ट्राई की सिफारिशों के अनुसार, दूरसंचार विभाग ने कंपनियों के लिए न्यूनतम 2 एमबीपीएस की गति निर्धारित की है। स्पीडटेस्ट ग्लोबल इंडेक्स डेटा के मुताबिक, दिसंबर 2022 में भारत की इंटरनेट स्पीड बढ़ी है। फिर भी यह विश्व स्तर पर 79वें स्थान पर है। देश में मोबाइल डाउनलोड स्पीड 18.26 एमबीपीएस से बढ़कर 25.29 एमबीपीएस हो गई है।

ब्रॉडबैंड बाजार के ताजा आंकड़ों के मुताबिक नवंबर 2022 में देश के ब्रॉडबैंड बाजार में कंपनियों की हिस्सेदारी 98.4% थी। इन कंपनियों में रिलायंस जियो, एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और बीएसएनएल शामिल हैं। भारत के टेलीकॉम सेक्टर की बड़ी कंपनियों की बात करें तो सबसे पहले रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया का नाम आता है। इसके अलावा, राज्य द्वारा संचालित दूरसंचार ऑपरेटर भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) द्वारा ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान की जाती हैं।