Bhiwandi city on the Verge of death, Heavy corruption in the repair permit of dilapidated buildings

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    भिवंडी. भिवंडी शहर (Bhiwandi City) के प्रभाग समिति क्रमांक 3 अंर्तगत स्थित पटेल कंपाउंड में पिछले वर्ष हुए जिलानी बिल्डिंग (Jilani Building) हादसे में 39 लोगों की मौत हो गयी थी‌ और 25 लोग बिल्डिंग के मलबे से जख्मी हालात में निकाले गयें थे। इस हादसे को गंभीरता से लेते हुए पुलिस जांच के दरमियान 03 महानगरपालिका कर्मचारी दोषी पाये गयें थें। जिसके कारण नारपोली पुलिस (Narpoli Police) ने तीनों के खिलाफ विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज कर महानगरपालिका कर्मचारियों को आरोपी बनाकर हवालात भेज दिया था।

    जिलानी इमारत घटना के बाद भिवंडी महानगरपालिका प्रशासन ने महानगर पालिका सीमा अंर्तगत स्थित 30 वर्ष पूर्व बनी सभी इमारतों को जर्जर घोषित कर नागरिकों को इमारत खाली करने के लिए नोटिस जारी किया। भिवंडी शहर में कुल 1273 इमारतों को चिह्नित कर जर्जर घोषित किया गया किन्तु आश्चर्य की बात यह है कि अभी तक केवल 391 इमारतों पर कार्यवाई हो सकी है। 

    गौरतलब है कि, महानगरपालिका से मिली जानकारी के अनुसार प्रभाग समिति क्रमांक 1 में कुल 104 इमारतों को चिन्हित कर जर्जर घोषित किया गया है जिसमें केवल 2 इमारतें ही पूर्ण रुप से तोड़ा गया है। इसके साथ ही 73 जर्जर इमारतों को रहिवासियों से खाली करते हुए पानी और बिजली कनेक्शन खंडित किया है। इसी तरह प्रभाग समिति क्रमांक 2 अंर्तगत घोषित 197 जर्जर इमारतों में से 6 पर तोड़क कार्यवाई की गयी तथा 34 जर्जर इमारतों के पानी और बिजली कनेक्शन खंडित किया गया।

    प्रभाग समिति क्रमांक 3 अंर्तगत घोषित 399 जर्जर इमारतों में से 23 इमारतें पर तोड़क कार्यवाई की गयी तथा 88 इमारतों के पानी और बिजली कनेक्शन खंडित किया। इसी तरह प्रभाग समिति क्रमांक 4 अंर्तगत घोषित 289 जर्जर इमारतों में से केवल 8 इमारतों पर महानगरपालिका प्रशासन का हथौड़ा चला है वही पर 24 इमारतें खाली करते हुए बिजली और पानी कनेक्शन खंडित किया है। प्रभाग समिति क्रमांक 5 अंर्तगत घोषित 284 जर्जर इमारतों में से 10 पर कार्यवाई करते हुए 75 इमारतों के बिजली और पानी कनेक्शन खंडित किया है।

    इमारत दुरुस्ती परमिशन बना भष्ट्राचार का जरिया 

    भिवंडी महानगरपालिका प्रशासन ने प्रभाग स्तर पर इमारतों को चिन्हित कर जर्जर घोषित किया है। उक्त खेल में जमीन मालिक और बिल्डरों को फायदा पहुँचाने के लिये विवादास्पद और पगड़ी पर रहने वाले नागरिकों के मकान को जबरन खाली करवाने का गोरखधंधा महानगरपालिका कर्मचारियों द्वारा किये जाने से इनकार नहीं किया जा सकता। साथ ही दुरुस्ती परमिशन के नाम पर महानगरपालिका कर्मियों ने इमारत मालिकों से मोटी रकम वसूली की शिकायतें भी हैं। सुत्रों की माने तो एक दुरुस्ती परमिशन देने के एवज में प्रत्येक इमारत के मालिकों से 10 हजार रुपये तक भष्ट्राचार किया गया। अभी तक पांचों प्रभाग समितियों में कुल 273 इमारत दुरुस्ती परमिशन दिया गया है।

    जिसमें प्रभाग समिति क्रमांक 1 में 45 दुरुस्ती इमारत परमिशन, प्रभाग समिति क्रमांक 2 अंर्तगत 42 दुरुस्ती इमारत परमिशन, प्रभाग समिति क्रमांक 3 अंर्तगत 42 दुरुस्ती इमारत परमिशन, प्रभाग समिति क्रमांक 4 अंर्तगत 112 दुरुस्ती इमारत परमिशन और प्रभाग समिति क्रमांक 5 अंर्तगत 41 इमारतों का दुरुस्ती परमिशन का समावेश है।  महानगरपालिका प्रशासन द्वारा घोषित 1273 जर्जर इमारतों में से 379 इमारतों का इंजिनियरों से स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाकर संपत्ति धारकों द्वारा जमा किया गया है। शहर के जागरूक नागरिकों ने महानगरपालिका आयुक्त सुधाकर देशमुख से अति जर्जर इमारतों का स्ट्रक्चरल ऑडिट अभिलंब कराए जाने की अपील की है ताकि जर्जर इमारतों से होने वाली दुर्घटनाओं को टाला जा सके।