नवी मुंबई के लिए स्वतंत्र SRA की तैयारी

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नवी मुंबई. सेटेलाईट सिटी और 21वीं सदी के शहर के रुप में प्रचारित नवी मुंबई के लिए स्वतंत्र एसआरए की तैयारी है. राज्य सरकार नवी मुंबई को झोपड़पट्टी मुक्त करने के लिए योजना तैयार कर रही है ताकि झोपड़ियों की जगह इमारतें तैयार हो सकें. सरकार का लक्ष्य शहरी क्षेत्र की तरह सुविधाएं देकर झोपड़पट्टियों में रहिवासियों का जीवन स्तर ऊंचा उठाना है.जाहिर है यदि नवी मुंबई के लिए स्वतंत्र एसआरए गठित हुआ तो जहां झोपड़पट्टियों की तकदीर चमकेगी वहीं गावठाणों और जर्जर इमारतों के पुनर्विकास को भी नयी संजीवनी मिलेगी. फिलहाल नवी मुंबई शहर भारत के रहने लायक शहरों में दूसरे नंबर है. झोपड़पट्टियां नहीं रहेंगी तब इसका नंबर वन बनना तय है.

हो चुका है सर्वे, मिल चुकी है मंजूरी

गौरतलब है कि वर्ष 2015 से ही नवी मुंबई में स्वतंत्र एसआरए की मांग उठती रही है. तत्कालीन मनपा आयुक्त विजय नाहटा के कार्यकाल में महानगर पालिका ने बीएसयूपी योजना के तहत झोपड़पट्टियों के विकास का प्रस्ताव मंजूर किया था.केन्द्र  सरकार ने जेएनएनयूआरएम की बीएसयूपी योजना के तहत पहले चरण के विकास के लिए नवी मुंबई की 13600 झोपड़ियों के लिए 10.64 करोड़ की धनराशि भी आवंटित कर दी थी लेकिन राजनीतिक कारणों से योजना खटाई में पड़ गयी. वर्ष 2001 के सर्वेक्षण के अनुसार नवी मुंबई मनपा परिक्षेत्र में कुल 48 झोपड़पट्टियों का पता चला, जहां 41,805 झोपड़ियां बतायी गयीं. वर्तमान में झोपड़ियों की संख्या बढ़कर 60 हजार के करीब हो गयी हैं.हर मनपा चुनाव से पहले सरकारी और आरक्षित जमीनों पर अवैध झोपड़ियां बनायी जाती हैं.

सरकार तैयार कर रही यूनिवर्सल डीसीआर

मिली जानकारी के अनुसार राज्य की उद्धव सरकार एक ऐसा सार्वभौमिक विकास प्रारूप तैयार कर रही है जिसके जरिए गावठान, झोपड़पट्टी, और शहरी इलाकों में समतोल विकास हो सके और किसी के साथ भी अन्याय न होने पाए. सूत्रों की मानें तो झोपड़पट्टी विकास महामंडल के सुझावों के अनुरूप मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे चाहते हैं कि गांव हों या शहर हर जगह समान विकास हो और किसी के साथ अन्याय न होने पाए. इसके लिए जर्जर इमारतों और गावठाणों के लिए 4 एफएसआई एवं शहरी इलाकों के लिए 2.5 से 3 एफएसआई का प्रावधान किया जा रहा है.सरकार इसके लिए यूनिवर्सल जीडीसीआर तैयार करा रही है.जो गांवों और झोपड़पट्टियों की तस्वीर बदलने में मददगार होगा.