सुंदर मंदिरों का गढ़ है तमिलनाडु का महाबलीपुरम

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तमिलनाडु राज्य का महाबलीपुरम अपने जटिल नक्काशीदार मंदिरों और रॉक-कट गुफाओं के लिए जग प्रसिद्ध है। इस शहर को पल्लव वंश के दौरान स्थापित किया गया था। यह एक शानदार टूरिस्ट प्लेस भी है। महाबलीपुरम को वर्ष 1984 में यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया है। महाबलीपुरम शहर को मामल्लपुरम भी कहा जाता है। तो आइए जानते हैं यहां के कुछ खास पर्यटन स्थलों के बारे में…

शोर मंदिर महाबलीपुरम-

शोर मंदिर 8 वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व का है। इस मंदिर में विष्णु मंदिर भी शामिल है। जिसका निर्माण भगवान शिव के दो मंदिरों के बीच करवाया गया है। पल्लवों द्वारा ग्रेनाइट के ब्लॉकों का उपयोग करके एक शानदार संरचना का निर्माण द्रविड़ शैली में किया गया है। इसकी उचाई 60 फीट है। 

महाबलीपुरम बीच- 


बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित महाबलीपुरम बीच लगभग 20 किमी लंबा समुद्र तट है। जोकि 20 वीं शताब्दी के बाद से ही अस्तित्व में आया था। यह समुद्र तट धूप सेंकने, गोताखोरी, विंड सर्फिंग और मोटर बोटिंग जैसी समुद्र तट की गतिविधियों के लिए पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है।

टाइगर गुफा महाबलीपुरम-
टाइगर गुफा महाबलीपुरम के उत्तर में 5 किलोमीटर की दूरी पर सालुरंकुपम गांव के पास स्थित है। यह रॉक-कट गुफा मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। यहां की नक्काशी देवी दुर्गा के जीवन में घटी एक घटना को दर्शाती है। यह स्थान पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है और यह एक पिकनिक स्पॉट भी है।  

अर्जुन की तपस्या महाबलीपुरम-

अर्जुन की तपस्या लगभग 30 मीटर लंबी और 9 मीटर ऊँची है। यह दो विशाल शिलाखंडों पर बनाया गया है। अर्जुन की तपस्या महाबलिपुरम की सबसे लोकप्रिय 7 वीं और 8 वीं शताब्दी की पत्थर की नक्काशी में से एक है। इस आकर्षित नक्काशी में भगवान, जानवर, पक्षी, अर्ध दिव्य जीव, हाथी और बंदर जैसे जानवर है।