Corona Cases in India : Less than 45 thousand new corona cases reported in the country in the last 24 hours, 911 people died
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    बाराबंकी. जहाँ एक तरफ देश (India) की जनता कोरोना (Corona) से हैरान-परेशान है। वहीं अब ब्लैक फंगस (Black Fungus) और इसके महंगे इलाज के चलते भी वह हताश है। इसी क्रम में ब्लैक फंगस से पीड़ित बाराबंकी की एक महिला को लखनऊ (Lucnow) के KGMU में 17 घंटे तक बेड नहीं मिला। इस दौरान उक्त पीड़िता कभी कार तो कभी इमरजेंसी के स्ट्रेचर पर ही पड़ी रही। दलाल ने 30 हजार रुपये लेकर वेंटिलेटर दिलाया तो जरुर पर हालत नाजुक हो जाने के कारण महज एक घंटे में ही महिला दम तोड़ गई। उक्त सारे गंभीर आरोप बाराबंकी के विवेक वैश्य ने लगाए हैं। पता हो कि बाराबंकी में ब्लैक फंगस से ये पहली मौत है।

    इस घटना का विवरण देते हुए धनोखर चौराहा निवासी विवेक वैश्य ने बताया कि, उनकी मां कुसुम वैश्य (55) 20 अप्रैल को कोरोना से संक्रमित हो गईं थीं। उनको इलाज के लिए बीते 30 अप्रैल को सफेदाबाद के हिंद संस्थान में उन्हें भर्ती करवाया गया था। वहां पर इलाज के दौरान ही बीते 20 मई को डॉक्टरों ने बताया कि कुसुम को अब ब्लैक फंगस भी हो गया है।

    ब्लैक में की इंजेक्शन की खरीदी :

    इधर मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने ब्लैक फंगस के लिए जरूरी इंजेक्शन उनके पास न होने की बात कही। इस पर उन्होंने अपनी जेब से दो लाख रुपये में ब्लैक से इंजेक्शन खरीद लिए पर वहां पर उनकी मां को ये इंजेक्शन लगाए ही नहीं गए।

    दो दिनों तक PGI में नहीं मिला बेड:

    इसके बाद बीते 3 दिनों से उनको यह कहा जाता रहा कि वह अपने मरीज को PGI ले जाएं। इस पर विवेक वहां दो दिनों तक PGI में बेड की तलाश करता रहा। लेकिन वहां पर बेड उन्हें नहीं मिल सका। इस बीच बीते गुरुवार शाम करीब पांच बजे उनकी  मां को एम्बुलेंस से KGMU के लिए रेफर कर दिया गया।

    किया जबरन लखनऊ रेफर : विवेक

    उस समय महिला का ऑक्सिजन लेवल 95 पर था। वह ठीक भी थी लेकिन उन्हें जबरन लखनऊ रेफर कर दिया गया। KGMU पहुंचने पर डॉक्टरों ने कहा कि यहां पर बेड नहीं है। आप फिलहाल इंतजार करें। इसके बाद विवेक, शाम छह बजे से रात 12बजे तक अपनी लाचार मां को कार में ही लिटाए रखा। फिर रात में वे उन्हें  इंमरजेंसी के स्ट्रेचर पर ले गए।

    इमरजेंसी में भी इलाज न मिलने का संगीन आरोप :

    इधर अब मृत महिला के बेटे का आरोप है कि इमरजेंसी पर भी उनका इलाज नहीं शुरू किया गया। इससे चलते उनकी मां की हालत बिगड़ती गई। फिर बीते शुक्रवार की सुबह डॉक्टरों ने कहा कि यहां पर बेड नहीं है। इस समय इनको वेंटिलेटर की जरूरत है। यह भी यहां पर फिलहाल उपलब्ध ही नहीं है।

    30 हजार रुपये में मिला वेंटिलेटर :

    इधर सुबह 11 बजे तक इंतजार के बाद एक शख्स उनके पास आया और उसने कहा कि यहां के हालत तो देख ही रहे हो। अगर वेंटिलेटर चाहिए तो एक लाख का फौरान इंतजाम करो। इस पर उसे वेंटिलेटर के लिए विवेक ने 30 हजार दिए तो उसने महज पांच मिनट में उन्हें वेंटिलेटर उपलब्ध करा दिया। लेकिन इस पुरिऊ मेहनत के बाद महज एक घंटे में ही उनकी मां ने अपना दम तोड़ दिया।