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नई दिल्ली: विविधताओं से भरे इस देश में कई रीति रिवाज ऐसे है, कई धार्मिक मान्यताएं ऐसी है जिनके बारे में सोचकर हम दंग रह जाते है। कुछ ऐसा ही बिहार के समस्तीपुर से सामने आया है। जी हां यहां लोगों के हाथ, गला, मुंह जहां देखो वहां सांप ही सांप है। कोई सांप को लेकर मग्न होकर झूम रहा है तो तो कोई सांप को आसमान की ओर दोनों हाथों से पकड़ा खड़ा है। आइए यहां जानते है क्या है पूरा मामला… 

सांपों का मेला

हैरानी की बात तो यह भी है कि इस दौरान फन फैलाए सांप सिर्फ देख  रहे है और कुछ भी नहीं कर रहे है। यहां ढोल-नगाड़े की थाप पर सांप को लेकर लोग डांस रहे थे। इतना ही नहीं बल्कि यहां सांपों के साथ लोग सेल्फी खींच रहे थे। आपको बता दें कि दरअसल समस्तीपुर के सिंघिया के अलावे दलसिंहसराय प्रखंड के मालपुर, नवादा, महनैया, कोनैला, मनियारपुर, सलखनी, ओरियामा, बम्बईया गांवों में नाग मेला का आयोजन किया गया।

होती हैं सांपों की पूजा 

दरअसल मालपुर के विषहरी स्थान मंदिर कैंपस में आयोजित मेले को देखने दूसरे राज्यों से भी लोग यहां आते है और हर कोई इस सांप मेले को देखकर दंग रह जाते है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि सावन महीने के पंचमी को यहां नागपंचमी के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। सांप को दूध से स्नान कराया जाता है। 

सांपों के साथ लेते है सेल्फी 

कई जगहों उन्हें दूध भी पिलाया जाता है। इतना ही नहीं बल्कि नाग पंचमी के दिन सांपों के दर्शन को काफी शुभ माना जाता है। मगर समस्तीपुर में तो सिर्फ सांपों की पूजा ही नहीं बल्कि यहां तो सांपों का मेला ही लग जाता है। जिंदा सांप लेकर नाचते-गाते-झूमते पूजा करते हैं और फोटो खींचाते हैं।

सावन की पंचमी को मनाते है नागपंचमी 

जैसा कि हमने आपको बताया यह अनोखा और रोंगटे खड़े कर देने वाला यह मेला बिहार के समस्तीपुर जिले में नागपंचमी पर लगता है। इस मेले को देख सामान्य लोगों के रोंगटे खड़े हो जाएंगे। बता दें कि सांप इतने जहरीले होते हैं कि इनके जहर की एक बूंद किसी की भी जान जा सकती है। 

300 सालों से चल रही प्रथा 

इस बारे में स्थानीय लोगों का दावा है कि भगत तंत्र-मंत्र के जरिए विषैले से विषैले सांपों का जहर निकाल देते हैं। पूजा करने के बाद इन सांपों को फिर से जंगल में छोड़ दिया जाता है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि  यह परंपरा पिछले 300 सालों से चल रही है।