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    नई दिल्ली: कई बार अदालत कुछ ऐसा कर देती है, जिससे हमेशा के लिए किसी की लाइफ बदल जाती है। जी हां ऐसा ही एक महिला के साथ हुआ है। कई बार काम की जगह पर बहुत से लोगों के साथ शारीरिक या फिर आर्थिक उत्पीड़न होता है, लेकिन नौकरी जाने के डर से ज्यादातर लोग इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाते, लेकिन लंदन की एक महिला ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और इसके बाद जो हुआ वह हम सबको जानना चाहिए। आइए जानते है क्या है पूरा मामला… 

    पुरुष कर्मचारी को ज्यादा मिलती थी सैलरी 

    आपको बता दें कि इस जाबाज महिला का नाम स्टेसी मैकेन है जो लंदन के बीएनपी परिबास एलए नामक कंपनी में ब्रोकरेज प्रोडक्ट मैनेजर के पद पर काम करती हैं। जब से उनकी इस कंपनी में नौकरी लगी तब से उन्होंने इस बात पर गौर किया कि उन्हें उनके पुरुष सहकर्मी से कम सैलरी दी जा रही है, जबकि वह उसी पद पर कार्यरत है और समान कार्य करता है। लेकिन यह बाद स्टेसी को बर्दाश्त नहीं हुई और उन्होंने कंपनी के खिलाफ कोर्ट केस कर दिया। इसके बाद जो हुआ वह वाकई में बहुत सराहनीय है।

     

    कोर्ट ने किया ये फैसला

    दरअसल जब इस मामले की सुनवाई हुई तो जज ने जो फैसला लिया उससे महिला की पूरी जिंदगी बदल गई। जी हां कोर्ट ने कंपनी को अपारदर्शी वेतन प्रणाली का दोषी मानते हुए पीड़िता को लगभग 21 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान करने का आदेश दिया और बस इतना ही नहीं बल्कि इसके अलावा उन्हें बोनस और अन्य भत्ते देने का भी आदेश दिया गया। 

    उन कंपनियों को सबक..

    इस अनोखे केस को जीतने के बाद स्टेसी मैकेन की वकील ने कहा कि यह केस उन कंपनियों के लिए सबक है जो लिंग के आधार पर कर्मचारियों के साथ भेदभाव करती हैं। इस तरह का रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आपको बता दें कि स्टेसी की साल 2013 में बीएनपी में नौकरी लगी थी। उसी समय एक पुरुष को भी उसी पद पर नौकरी दी गई थी, लेकिन कंपनी समान जिम्मेदारी के लिए दोनों को अलग-अलग वेतन देती रही, जो कि बिलकुल भी सही नहीं है।