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    नई दिल्ली/लंदन. वैसे तो सभी मनुष्य समाज में किसी की शारीरिक बनावट के आधार पर उसका मजाक उड़ाना दरअसल दुर्व्यवहार माना जाता है। लेकिन वहीं एक ब्रिटिश अदालत ने इसे अब ‘यौन उत्पीड़न’ (Molestation) भी करार दिया है। दरअसल एक इंप्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में कहा कि,किसी शख्स को ‘गंजा’ (Bald) कहना दरअसल एल तरह का यौन उत्पीड़न है। 

    यह पूरा वाकया तब शुरू हुआ जब एक व्यक्ति खुद को ‘गंजा’ कहे जाने की शिकायत लेकर अदालत पहुंचा। वेस्ट यॉर्कशायर में ब्रिटिश बंग कंपनी में 24 साल काम करने वाले टोनी फिन को बीते साल नौकरी से निकाल दिया गया जिसके बाद उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

    डेलीमेल की एक खबर की मानें तो टोनी फिन ने अदालत में तमाम दावे किए जिसमें से एक दावा यौन उत्पीड़न का भी था। उन्होंने कहा कि एक घटना के दौरान उन्हें फैक्ट्री सुपरवाइजर जैमी किंग की ओर से यौन उत्पीड़न का भी सामना करना पड़ा था। इस बाबत फिन ने आरोप लगाया गया कि जुलाई 2019 में किंग ने उन्हें ‘गंजा’ कहते हुए गाली भी दी थी। इस पर जज ने कहा कि, महिलाओं की तुलना में पुरुषों के बाल ज्यादा झड़ते हैं इसलिए किसी के लिए इस शब्द का इस्तेमाल करना भेदभाव का ही एक रूप है।

    ‘गंजा’ कहना महिला के ब्रेस्ट पर भद्दे कमेंट करने जैसा

    इसके साथ ही इस मामले पर कोर्ट ने किसी शख्स को गंजा कहने की तुलना किसी महिला की ब्रेस्ट पर भद्दे कमेंट करने से की। जज जोनाथन ब्रेन के नेतृत्व में पैनल ने आरोपों पर गहन विचार किया कि क्या उसके गंजेपन पर टिप्पणी सिर्फ अपमान है या वास्तव में उत्पीड़न है। इस पर पैनल ने कहा, “हमारे फैसले में, ‘गंजा’ शब्द और सेक्स की संरक्षित विशेषताओं (protected characteristic of sex) के बीच संबंध है।’

    ‘गंजा’ कहना अपमानजनक व्यवहार

    इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, “हम इसे स्वाभाविक रूप से यौन संबंधित पाते हैं। किंग ने फिन के रंग-रूप पर यह टिप्पणी उनको आहत करने के लिए की जो अक्सर पुरुषों में पाई जाती है। इसलिए ट्रिब्यूनल का यह मानना है कि फिन के लिए ‘गंजा’ शब्द का इस्तेमाल करना, दरअसल एक अपमानजनक व्यवहार था। इससे फिन की गरिमा को भी गहन ठेस पहुंची है और उनके लिए भय का गलत माहौल पैदा हुआ।” कोर्ट के इस अहम फैसले से,  पक्षपातपूर्ण बर्खास्तगी, गलत तरीके से बर्खास्तगी और यौन उत्पीड़न के दावों पर फिन को जीत मिली है।