
नई दिल्ली. जहां एक तरफ लद्दाख (Laddakh) अपनी खूबसूरती के साथ बीते काफी समय से एलियन (Aliens) के रहस्य के कारण चर्चा में रहा है। वहीं जानकारी के अनुसार यहां एक जगह ऐसी भी है जिसे एलियन के ‘अड्डे’ के नाम से भी जाना जाता है। जी हां, लद्दाख का ‘कोंगका ला पास’ (Kongka La Pass) दरअसल भारत का ‘एरिया 51’ (Area 51) भी कहलाता है, जो अपने अंदर ऐसे अनेकों रहस्य को समेटे हुए है। इसके साथ ही यह भी कई बार दावा किया जा चुका है कि, यहां पर ‘एलियन’ भी देखे गए हैं। इसलिए इस हिस्से को ‘एलियंस’ का उड़नतश्तरी का बेस कहते हैं।
भारत का ‘एरिया 51’
दोस्तों, लद्दाख का ‘कोंगका ला पास’ ऐसा इलाका है, जहां पर कोई नहीं रहता। अब ऐसे में क्या यहां वाकई एलियन आते हैं या नहीं, इसे समझने के लिए वैज्ञानिकों ने साल 2004 में एक स्टडी की। वैज्ञानिकों के इस रिसर्च के मुताबिक, स्टडी के दौरान ‘लद्दाख’ के उसी हिस्से में रोबोट जैसा चलते हुए नजर आया था। जैसे ही ये वैज्ञानिक उस जगह पर पहुंचे वो चीज अचानक वहां से गायब हो गई थी।
India’s Area 51?
5 Reasons Why Ladakh’s Kongka La Pass Is India’s Very Own Area 51 For Conspiracy Theorists https://t.co/X9a01IPWmH @InsightGL— Dr. Nishtha Tripathi (@nishthacph) January 10, 2022
बता दें कि ‘कोंग्का ला’ में ‘ला’ शब्द का अर्थ तिब्बती भाषा में दर्रा है। ये लद्दाख क्षेत्र में स्थित एक पहाड़ी दर्रा है, जिसपर काफी विवाद है। भारत का मानना है कि ये उसकी सीमा में आता है, जबकि चीन इसपर हमेशा से ही अपना दावा करता है।
जब इंडियन आर्मी को नजर आई थी रहस्यमय चीज
हालांकि यह यह कोई पहला मामला नहीं था। वहीं फिर 2012 में भारतीय सेना और ITBP के जवानों ने भी कुछ ऐसी ही रहस्यमय चीज दिखने की पुष्टि की थी। सूत्रों के अनुसार, सेना की ओर से जो रिपोर्ट दिल्ली मुख्यालय भेजी गई थी, उसमें कहा गया था कि उस क्षेत्र में UFO भी देखा गया है।
Representative Image
क्यों मिला रहा एलियंस थ्योरी को बल
दरअसल, कोंग्का पास धरती का वो हिस्सा है, जहां पर इसकी पपड़ी की गहराई दुनिया के किसी भी हिस्से से दोगुनी है। अब ऐसा तभी होता है जब पृथ्वी की एक टेक्टॉनिक (lithospheric ) प्लेट दूसरे के नीचे दब जाती है। आपको बता दें कि ये प्लेट धरती की प्राचीन परत हैं, जो मजबूत चट्टानों से बनी होती हैं। इसी की उपस्थिति के कारण यहां पर एलियंस के बेस की धारणा को और भी मजबूती मिली।
वैज्ञानिकों के अलग-अलग मत
हालांकि इस पूरे मामले पर वैज्ञानिकों के हमेशा से ही मत अलग-अलग रहे हैं। जहां कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि ‘कोंगका’ की जो परत है वह दुनिया में सबसे पुरानी है। जिससे यहां UFO बेस की धारणा को सही माना जाता है। वहीं, कुछ वैज्ञानिकों का यह कहना है कि, यहां पर एलियन या UFO जैसा कोई नहीं है क्योंकि यहां पर इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं जिसके आधार पर इसकी पुष्टि की जा सके।
DRDO की स्टडी
बाद में एलियन को लेकर जमकर चर्चा बढ़ने पर साल 2012 में DRDO और नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने मिलकर एक स्टडी की थी। जांच और रिसर्च के बाद दोनों ही संस्थान इस बात पर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाए थे।जिस कोंगका दर्रा में अक्सर UFO के देखे जाने का दावा किया जाता है वह भारत-चीन सीमा की नियंत्रण रेखा के पास है। इसलिए वहां आम लोगों के आने-जाने की भी मनाही है।
कैलाश पर्वत में ‘एलियन्स’
हालांकि कुछ स्थानीय लोगों के अनुसार भारत-चीन दोनों हिस्सों की तरफ UFO को जमीन पर आते हुए देखा गया है। वहीं यह बात दोनों देशों की सेना वाकिफ है। पर इसकी असल सच्चाई क्या है, यह आज तक बस एक रहस्य बनी हुई है। वैसे इससे पहले और लगातार ही कैलाश पर्वत के बारे में भी अक्सर कहा जाता रहा है कि यहां या तो एलियन्स आते हैं या फिर पारलौकिक शक्तियों का बड़ा बसेरा है।
कब हुए UFO के दर्शन
जानकारी के अनुसार, 24 जून 1947 को पहली बार वॉशिंगटन में माउंट रेनीयर के करीब पहली बार 9 हाई स्पीड ऑब्जेक्ट्स को उड़ते हुए देखे गए थे। वहीं वैज्ञानिकों की मानें तो हमारी गैलेक्सी में ही धरती जैसे लाखों ग्रह होंगे तो यह बात भी तय है कि उनमें में कुछ पर तो जीवन भी होने की सम्भावना है। ऐसे ही जीवन को वैज्ञानिकों ने ‘एलियन’ कहा है।
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