- सिंचाई व कृषि विभाग रखें समन्वय, जिलाधिकारी के निर्देश
वर्धा. जिले के सिंचाई व अन्य विभागों के विभिन्न बांध, पाझर तालाब आदि जलाशयों में रबी मौसम समाप्त होने के बाद प्रतिवर्ष 35 से 40 फीसदी पानी सभी जलाशयों में रहता है़ इस पानी का उपयोग सिंचाई व कृषि विभाग ने नियोजन कर कृषि क्षेत्र का सिंचाई बढ़ाने के लिए 8 दिनों में नियोजन करने के निर्देश जिलाधिकारी प्रेरणा देशभ्रतार द्वारा दिए गए.
कृषि क्षेत्र की सिंचाई क्षेत्र बढ़ाने के लिए जिलाधिकारी ने संबंधित विभाग की जायजा बैठक ली़ इस दौरान जिला कृषि अधीक्षक अनिल इंगले, आत्मा प्रकल्प संचालक विद्या मानकर, सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता सुनिल राहणे, लघु सिंचाई कार्यकारी अभियंता, निम्म वर्धा नहर विभाग कार्यकारी अभियंता डी़ जी़ बारापात्रे, निम्न वर्धा प्रकल्प विभाग कार्यकारी अभियंता आर.पी़ व-हाडे, जिला परिषद ग्रामीण जलापुर्ति विभाग के वाघ, मजीप्रा के अभियंता मदनकर उपस्थित थे़ सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता द्वारा जिले के जलाशयों में रब्बी मौसम के बाद 35 से 40 फिसदी जल उपलब्ध होने की जानकारी दी.
इतना पानी उपलब्ध होने के बावजूद किसानों को सिंचाई के लिए क्यों उपलब्ध नहीं किया जा रहा, इस बारे में प्रश्न उपस्थित कर कृषि उपलब्ध पानी का फसलों के लिए उचित नियोजन करने की सूचना उन्होंने दी़ अपने क्षेत्र में खरीफ में कपास, तुअर, रबी में गेहूं, चने का उत्पादन लिया जाता है़ जबकि ग्रीष्मकाल में भूईमुंग, मूंग आदि फसल ली जाती है.
फसल पद्धति में बदलाव रखने के बारे में जिलाधिकारी ने चर्चा की़ साथ ही इस क्षेत्र में और कौन-से फलों की खेती करना संभव है, इस बारे में जानकारी जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी को किसानों को देकर मार्गदर्शन करने की सूचना दी़ साथ ही किसानों का उत्पादन कैसे बढ़ाना संभव है, इस बारे में नियोजन कर सिंचाई विभाग ज्यादा से ज्यादा क्षेत्र सिंचाई के नीचे लाया जा सके, इसके लिए कृषि विभाग के समन्वय से खरीफ, रबी व ग्रीष्मकालीन मौसम का उचित नियोजन करने की सूचना जिलाधिकारी ने बैठक में दी.