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नई दिल्ली: मालदीव और भारत (Maldives-India) के बीच चल रहे विवाद की कीमत अब मालदीव (Maldives) के 14 साल के बच्चे को चुकानी पड़ी है। दरअसल वक़्त पर इलाज नहीं होने से इस गंभीर रूप से बीमार बच्चे की अब मौत भी हो गई है। लेकिन इस मासूम की मौत का सारा इल्जाम मालदीव में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (President Mohammed Muizzu) पर जाता है।  दरअसल राष्ट्रपति मुइज्जू ने कथित तौर पर उसे एयरलिफ्ट (Airlift)) के लिए भारत द्वारा उपलब्ध कराए गए डोर्नियर विमान के इस्तेमाल की मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। मालदीव में मुइज्जू के इस फैसले का अब जोरदार विरोध हो है।

जानकारी मिली कि यह बच्चा ब्रेन ट्यूमर और स्ट्रोक से जूझ रहा था। उसके परिवार ने गाफ अलिफ विलिंगली के आइलैंड विलमिंगटन से बच्चे को मालदीव की राजधानी माले एयरलिफ्ट करने के लिए एयर एंबुलेंस मांगी थी। इसके लिए उन्होंने बीते बुधवार 17 जनवरी रात से ही एयरलिफ्ट की रिक्वेस्ट करनी शुरू कर दी थी।

लेकिन, फिर बीते गुरुवार 18 जनवरी सुबह तक भी परिवार की मांग को लेकर किसी तरह का जवाब नहीं आया। गुरुवार सुबह जब देश के एविएशन डिपार्टमेंट ने जवाब दिया, तब तक बच्चे की जान को बचाने वाले कीमती 16 घंटे बीत चुके थे। आखिरकार मालदीव की आसांधा कंपनी लिमिटेड ने बच्चे को एयरलिफ्ट किया और उसे ICU में भर्ती कराया गया, लेकिन बच्चे को फिर बचाया नहीं जा सका।

हालांकि भारत ने पहले ही चिकित्सा निकासी और अन्य उच्च उपलब्धता आपदा रिकवरी (HARD) गतिविधियों के लिए दो नौसैनिक हेलीकॉप्टर और एक डोर्नियर विमान मालदीव को मुहैया कराया हुआ है। बच्चे के परिजनों ने उसे गैफ अलिफ विलिंगिली स्थित घर से राजधानी शहर माले ले जाने के लिए एयर एम्बुलेंस का अनुरोध किया था। परिवार का यह आरोप है कि अधिकारी तुरंत मेडिकल एयरलिफ्ट की व्यवस्था करने में विफल रहे।

बच्चे के पिता बोले- एयर एंबुलेंस का मिलना बहुत जरूरी था

इस बात बच्चे के पिता ने कहा कि हमने आइलैंड एविएशन को कॉल करके तुरंत मदद मांगी थी, लेकिन उन्होंने हमें कोई भी जवाब नहीं दिया। उन्होंने गुरुवार सुबह 8:30 बजे फोन का जवाब दिया। ऐसे मामलों में एयर एंबुलेंस का मिलना बहुत जरूरी होता है।  इमरजेंसी एयरलिफ्ट का अनुरोध करने के 16 घंटे बाद भी उक्त बच्चे को माले लाया गया, लेकिन तब तक देरी हो चुकी थी।

एयरलिफ्ट करने वाली कंपनी ने दिया टेक्निकल गड़बड़ी का हवाला दिया

इधर बच्चे को एयरलिफ्ट करने वाली आसांधा कंपनी ने इस मामले को लेकर एक बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया कि, मदद की रिक्वेस्ट आते ही उन्होंने बच्चे के मेडिकल ट्रांसफर की तैयारी कर ली थी, लेकिन आखिरी वक्त पर एक टेक्निकल ग्लिच की वजह से यह देरी हुई।भारतीय हेलीकॉप्टरों का उपयोग नहीं करने की आलोचना भी मालदीव में हो रही है। पुरे मामले पर मालदीव के सांसद मिकाइल अहमद नसीम का कहना है कि, भारत के प्रति राष्ट्रपति की शत्रुता को संतुष्ट करने के लिए क्या यहां के लोगों को अपनी जान की कीमत देकर चुकाना पड़ेगा।