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रूस-यूक्रेन युद्ध

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नई दिल्ली: एक बड़ी खबर के अनुसार जहां अब डेढ़ साल से भी ज्यादा वक़्त से चल रही रूस-यूक्रेन के युद्ध (Russia-Ukaraine War) के बीच अब रूस सैनिकों की संख्या की कमी से रूस जूझ रहा है। वहीं मामले पर ANI की रिपोर्ट की अनुसार और CNN के ख़ुफ़िया सूत्रों की मानें तो  रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण शुरू करने करे बाद अपने सक्रिय ड्यूटी ग्राउंड सैनिकों की कुल संख्या का 87% और अपने आक्रमण-पूर्व टैंकों के दो-तिहाई को खो चुकी है। 

रूस ने खोई अपनी 87% शक्ति  

CNN की मानें तो रूस ने 360,000 सैनिकों के साथ युद्ध में प्रवेश किया था, जिनमें अनुबंध और भर्ती कर्मी भी शामिल थे। इनमे से रूस ने युद्ध के मैदान में 315,000 सैनिकों को खो दिया। इतना ही नहीं, इस खुनी जंग में रूस ने 3,500 में से 2,200 टैंक खो दिए और 13,600 बख्तरबंद वाहनों में से 4,400 भी नष्ट हो गए हैं।

इस रिपोर्ट को मानी जाए तो रूस ने बीते नवंबर के अंत तक जमीनी सेना के उपकरणों के अपने पूर्व-आक्रमण भंडार का लगभग एक चौथाई से अधिक भंडारण खो दिया है। इस रिपोर्ट के अनुसार अब रूसी आक्रामक अभियानों की जटिलता और उनका पैनापन अब कम हो चूका है, जो 2022 की शुरुआत से अब तक यूक्रेन पर फ़तेह हासिल करने में विफल रहे हैं।

CIA की चौंकानेवाली रिपोर्ट 

इधर इस भारी नुकसानके बीच अब रूस ने अपने भर्ती मानकों में ढील देकर और सोवियत काल के पुराने उपकरणों के भंडार में कमी करके अपने युद्ध प्रयासों को जारी रखने में सक्षम रहा है। वहीं CIA के अनुसार, इस आक्रमण से पहले, रूस के पास जमीनी सैनिकों, हवाई सैनिकों, विशेष अभियानों और अन्य वर्दीधारी कर्मियों सहित लगभग 900,000 सक्रिय-ड्यूटी सैनिकों की कुल स्थायी सेना थी। जो अब कम हो चुकी है।

क्या यूक्रेन बढ़ा रहा रूस के लिए मुश्किल  

इस मामले में कीएव स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स के प्रमुख और यूक्रेन की सरकार में मंत्री रह चुके टिमोफ़ी मिलोवनोफ़ कहते हैं कि, यूक्रेन ने दिखा दिया कि रूसी सेना पर अंकुश लगाया जा सकता है। अब यूक्रेन रूस को काफ़ी पीछे धकेलने में कामयाब हो गया। इस लिहाज़ से यूक्रेन और दुनिया के लिए यह एक सामरिक जीत है। रूसी सेना की ताक़त के बारे में युद्ध से पहले जो सोच थी वो भी बदल गई। यूक्रेन लड़ता रहेगा क्योंकि अब यूक्रेन के लोगों के लिए यह निजी लड़ाई बन गई है। हालाँकि रूस भी अपनी स्थित मज़बूत करने के लिए कई देशों से समर्थन जुटाने में लगा हुआ है। 

क्या हैं नए समीकरण 

देखा जाये तो यूक्रेन के सहयोगी देशों में अब उसे समर्थन को लेकर असमंजस बनता दिख रहा है। वहीं रूस भी अपने नए सहयोगी जुटा रहा है। अब कहा तो यह भी जा अरह है कि, यह युद्ध टैंकों, बंदूकों से नहीं बल्कि टेक्नॉलॉजी से जीता जाएगा। ऐसे में अब दोनों में से जिसके पास युद्ध की बेहतर टेक्नॉलॉजी होगी, उसकी जीत होगी।