यवतमाल. यवतमाल जिले में कुंवारी माताओं की समस्या गंभीर है. अब भी जिले में 91 कुवारी माताएं हैं. जिले में ऐसे केवल 15 मामले दर्ज हैं. इन एकल माताओं के पुनर्वास के लिए उन्हें पोल्ट्री, खेती व अन्य व्यवसायिक प्रशिक्षण देना प्रस्तावित है. उनके पुनर्वास के लिए 2016-17 में एक प्रस्ताव राज्य सरकार की ओर से केंद्र सरकार को भेजा गया था. पर उस संदर्भ में अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया. यह जानकारी राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री एड. यशोमति ठाकुर ने दी. मंत्री ठाकुर ने यह बात कबूल की कि महिला एवं बाल कल्याण विभाग की ओर से विविध योजनाएं चलाई जाती हैं. पर उसके बाद भी कुपोषण, माता व बाल मृत्यु, एकल माता आदि समस्या कायम हैं.
इसके पीछे कई कारण है. इसमें संबंधित समाज की रुढी, परंपराएं भी अहम हैं. ऐसे में यह मसला हल करने में बडी दिक्कत आती हैं. महिला एवं बालकों की स्थिति में सुधार लाने के लिए एकात्मिक उपाययोजनाओं की आवश्यकता है. केवल अकेले महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रयास से यह संभव नहीं होगा. समाज की ओर से मदद के हाथ आगे आना जरुरी है. कुप्रथा एवं परंपराओं को भी खत्म करने की आवश्यकता है. अमरावती जिले के मेलघाट में कुपोषण निर्मूलन के लिए खु वहां जाकर सरकारी योजनाओं का लाभ कितने लोगों को मिल रहा है, इसका प्रत्यक्ष अवलोकन किया. एक संस्था द्वारा योजना सही में चलाई जाती है क्या? इसका सर्वे किया.
इसके बाद ही योजना में तथा मशीनरी में सुधार किया गया. अब मेलघाट में कुपोषण का औसत बेहद नियंत्रण में लाया गया है. ठाकुर ने कहा कि यवतमाल की कुंआरी माताओं की समस्या के लिए फिलहाल केवल पांच एकड जमीन की खरीद प्रक्रिया हुई है. और भी पैसे कहां से लाए जा सकेंगे इस पर विचार-विमर्श जारी है. इस समय विधायक डा. वजाहत मिर्जा, जिला परिषद कालींदा पवार, सभापति राम देवसरकर, पूर्व विधायक विजय खडसे, स्वाती येंडे, जयश्री पोटे, पूर्व अध्यक्ष प्रवीण देशमुख, सीईओ जलज शर्मा आदि उपस्थित थे.