Initiative to ensure gender equality in Kerala school, all students will have to wear uniform
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  • धूल खा रही सामग्री, कई शालाओं की कटी बिजली

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गोंदिया. राज्य के तत्कालीन शिक्षा सचिव नंदकुमार की संकल्पना से जिले की शत प्रश शाला डिजिटल कर दी गई. जिसमें गोंदिया जिले ने राज्य में डिजिटल शाला देने में दूसरा स्थान हासिल किया था, किंतु कोरोना काल में शाला ऑनलाइन शिक्षा देने में निरर्थक साबित हुई है. इस अवधि में कई शालाओं की विद्युत पूर्ति खंडित कर दी गई. जिससे डिजिटल सामग्री निरुपयोगी हो गई.

इसमें तत्कालीन शिक्षणाधिकारी का यह केवल दिखावा था, ऐसा कहने में कोई हर्ज नहीं है. डिजिटल शाला, अध्ययन निश्चिती, अध्यपन निष्पती और ऑनलाइन शिक्षा पर जोर देने की संकल्पना शिक्षा सचिव नंदकुमार ने रखी थी. उन्होंने संपूर्ण राज्य का दौरा किया था.

इस उपक्रम को पूर्ण करने जिले के तत्कालीन शिक्षणाधिकारी नरड ने शिक्षकों को शाला डिजिटल करने का फरमान सुनाया था. इसमें शिक्षकों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया. जनप्रतिनिधि, पालक व नागरिकों से चंदा जमा कर शाला डिजिटल बना दी गई. कक्षा में रखी टीवी के माध्यम से विद्यार्थियों को ऑनलाइन अध्यापन कराया जा रहा था. जिले की 100 प्रश शाला डिजिटल कर दी गई. इसमें गोंदिया ने राज्य में दूसरा क्रमांक हासिल किया था.

जिप की 1069 शाला डिजिटल बन गई है. इतना ही नहीं भव्य कार्यक्रम आयोजित कर शिक्षाकारी उल्हास नरड का सत्कार भी किया गया था, लेकिन बाद में इस उपक्रम की अनदेखी होने लगी. वर्तमान में अनेक शालाओं के प्रोजेक्ट बंद पड़े हैं.

जिप की शालाओं में दी जाने वाली डिजिटल शिक्षा बंद है. जबकि पूर्व में विद्यार्थियों ने प्रोजेक्ट का अध्ययन किया. जिससे अब कोरोना काल में विद्यार्थी लैपटॉप, टीवी, मोबाइल आदि पर ऑनलाइन शिक्षा ले रहे है. इसमें कक्षा 6 वीं वाले विद्यार्थियों ने जो कुछ अनुभव लिया है वह अब उनके काम आ रहा है. ऐसा शिक्षण विभाग के एक कर्मचारी ने बताया है.

जरूरत के समय पड़े बंद

इस संबंध में पूर्व जिप सदस्य राजेश चांदेवार के अनुसार जिप शालाओं के विद्यार्थी भी स्मार्ट हो, इसके लिए जिला की शाला डिजिटल करने पर जोर दिया गया था. पालकों ने भी इसमें बड़ा सहयोग किया. लेकिन यह उपक्रम कुछ समय के लिए साबित हुआ है. सही मायनों में ऑनलाइन शिक्षा की जरूरत रहते सामग्री निरुपयोगी साबित होना दु:खद है. 

शिक्षकों ने भी नहीं दिखाई रुचि

जिप के शिक्षकों का तबादला होने से शिक्षक भी इस ओर दुर्लक्ष करने लगे. शालाओं की विद्युत खंडित है. मार्च से कोरोना का संक्रमण शुरू है. जिससे शासन ने ऑनलाइन पर जोर दिया है. कक्षा 5 वीं से आगे वाले और जिनके पास मोबाइल व नेटवर्क है ऐसे विद्यार्थी ऑनलाइन शिक्षा लेने लगे हैं. जबकि यह उपक्रम भी निरर्थक साबित हो गया. विद्यार्थियों की ऑनलाइन व ऑफलाइन शिक्षा बंद हुई. अब विद्यार्थी केवल खेल कूद करने लगे हैं.