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 नयी दिल्ली. विभिन्न केंद्रीय श्रमिक संगठनों की एक दिवसीय हड़ताल (Strike) से बृहस्पतिवार को सार्वजनिक सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। श्रमिक संगठनों के एक प्रतिनिधि ने कहा कि अभी तक तमिलनाडु और केरल सबसे अधिक प्रभावित हैं। श्रमिक संगठनों के दावे के अनुसार देश भर में विभिन्न क्षेत्रों के 25 करोड़ से अधिक श्रमिक व कर्मचारी हड़ताल में शामिल होंगे।

हड़ताल में भाग लेने वाले 10 केंद्रीय श्रमिक संगठन इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर ऑफ इंडिया ट्रेड यूनियंस (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एंप्यॉलयड वीमेंस एसोसिएशंस (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और युनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) हैं। एआईटीयूसी के महासचिव अमरजीत कौर ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हड़ताल शुरू हो गई है। केरल और तमिलनाडु पूरी तरह बंद हैं। ऐसी ही स्थितियां ओड़िशा, पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना और गोवा में बन रही हैं। महाराष्ट्र में भी हड़ताल को अच्छा समर्थन मिल रहा है।”

उन्होंने कहा कि बैंकों, एलआईसी, जीआईसी और आयकर विभाग में भी सेवाएं गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने हड़ताल को राजनीति प्रेरित बताते हुए इससे अलग रहने की घोषणा की है। किसान संगठनों के संयुक्त मंच अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने भी इस आम हड़ताल को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। समिति के सदस्य ग्रामीण इलाकों में लोगों के बीच हड़ताल के समर्थन का आह्वान करेंगे। यह हड़ताल केंद्र सरकार की कई नीतियों समेत विशेष तौर पर नये किसान और श्रम कानूनों के विरोध के लिए बुलायी गयी है। घरेलू सहायक, निर्माण श्रमिक, बीड़ी मजदूर, रेहड़ी-पटरी वालों, कृषि मजदूर, ग्रामीण और शहरी इलाकों में स्वरोजगार करने वालों ने भी ‘चक्का जाम’ में शामिल होने की घोषणा की है। कई राज्यों में ऑटोरिक्शा और टैक्सी ड्राइवरों ने भी हड़ताल में शामिल होने के लिए कहा है। रेलवे और रक्षा कर्मचारियों के संघों ने भी हड़ताल को अपना समर्थन जताया है।