विकलांग बिरजू बना औरों का मददगार

  • हादसे में गंवा दिया था एक पैर व एक हाथ
  • शहर में चला रहा शीतपेय फैक्टरी

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मुन्ना शेख

अमलनेर. 20 साल पहले एक हादसे में अपना एक पैर और हाथ गंवा देने और बोलने में दिक्कत होने के बावजूद जिंदगी से हार न मानते हुए कुछ कर दिखाने के जुनून ने बिरजू चौधरी को नई बुलंदियों पर पहुंचा दिया.

10 से 15  विकलांगों को दिया रोजगार

चौधरी ने शहर में एक शीतपेय फैक्टरी डालकर 10 से 15  विकलांग लोगों को रोजगार देकर एक आदर्श स्थापित किया है. इसके साथ ही वे दूसरों की बैसाखी बनने की प्रेरणा दी. जीवन की गाड़ी खींचने के लिए उन्होंने अपने ही घर में एक छोटी सी फैक्टरी डाली. इसके माध्यम से बिरजू ने अब तक 10 से अधिक विकलांगों को रोजगार उपलब्ध कराया है. बिरजू के मुताबिक तंदुरुस्त को तो कहीं भी रोजगार उपलब्ध  हो जाता है. लेकिन अपाहिजों को रोजगार मिलने में काफी परेशानियां सहनी पड़ती हैं, जिसे देखते हुए  उन्होंने अपनी शीतपेय फैक्ट्री में अधिकतर विकलांग को ही रोजगार दिया है.

कई दिव्यांगों को दिलवाईं साइकिलें

उनके इस आदर्श को देखते हुए उन्हें राज्य सरकार ने विकलांग पार्टी का तहसील अध्यक्ष  बना दिया. इसके चलते वे अब  तहसील के विकलांगों के लिए कारगर साबित हो रहे हैं. कुछ दिनों पहले उन्होंने कई विकलांगों के लिए शासन की ओर से साइकिलें भी उपलब्ध कराई हैं.

पागल समझते थे लोग

हादसे में हाथ-पैर खोने के बाद जब बिरजू ने अपने बलबूते पर कुछ करने का मन बनाया तो वे लोगों की हंसी के पात्र बन गए. उनका कहना था कि जब वह उद्योग खोलने के लिए बैंक में कर्ज लेने पहुंचे तो उनके बातचीत के तरीके से उन्हें पागल और शराबी समझा गया. इन सब घटनाओं के बावजूद बिरजू ने हार नहीं मानी और कोल्डड्रिंक फैक्ट्री शुरू की. उन्होंने फैक्ट्री में लगने वाले कर्मचारियों के रूप में विकलांग बंधुओं को ही रोजगार उपलब्ध कराया है ताकि वह उपेक्षा के शिकार न हो पाएं. इसके साथ ही वह अपने बूढ़े मां-बाप के साथ अपने परिवार का भी पालन पोषण कर रहे हैं.

दिव्यांग उद्योग भूषण पुरस्कार से सम्मानित

बिरजू चौधरी के इस कार्य को देखते हुए कुछ साल पहले नागपुर में तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें दिव्यांग उद्योग भूषण पुरस्कार देकर सम्मानित किया था. इसके साथ ही तहसील के कई जगहों पर उनका सम्मान किया जा चुका है.