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    नयी दिल्ली. जहाँ एक तरफ केंद्र (Narendra Modi Goverment) के तीन कृषि कानून (Farm Laws) लाने के बाद से शुरू हुए किसान आंदोलन (Hisan Andolan) को आज 365 दिनों से भी ज्यादा का समय बीत चुका है। वहीं अब तक यह खत्म होने की कगार पर पहुंचता नहीं दिख रहा है।   गौरतलब है कि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले  40 से ज्यादा किसान संगठनों ने 21 नवंबर को पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर छह मांगे रखी थीं। 

    लेकिन इन सबके बीच, बीते मंगलवार को केंद्र सरकार ने किसान संगठनों को एक विस्तृत प्रस्वाव भेजा है। हालांकि, किसान संगठनों को इस प्रस्ताव पर भी आपत्ति है और मंगलवार को सिंघु बॉर्डर पर इसको लेकर करीब पांच घंटे लंबी बैठक चली। ऐसे में अब अब अधिकांश किसान आंदोलन को खत्म करने के पक्ष में हैं, लेकिन राकेश टिकैत की अगुवाई वाले भारतीय किसान यूनियन सहित कुछ धड़े MSP पर कानून की गारंटी के बिना आंदोलन खत्म नहीं करना चाहते हैं। 

    दरअसल बीते मंगलवार को किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि प्रस्ताव में ऐसी कई चीजें हैं जो साफ नहीं है। इसलिए फिलहाल आंदोलन कहीं नहीं जा रहा है।

    किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि, “सरकार ने प्रस्ताव दिया की वह हमारी मांगे मानेंगे और हमें अब विरोध ख़त्म कर दें चाहिए। लेकिन अभी प्रस्ताव स्पष्ट नहीं है। हमें कुछ आशंकाएं हैं जिन पर कल दोपहर दो बजे चर्चा होगी। हमारा आंदोलन कहीं नहीं जा रहा है, यहीं रहेगा।”

    क्या हैं प्रस्ताव 

    • प्रस्ताव- 1 : दरअसल MSP पर प्रधानमंत्री ने स्वयं और बाद में कृषि मंत्री ने एक समिति बनाने की घोषणा की है। समिति में केंद्र सरकार, राज्य सरकार व किसान संगठनों के प्रतिनिधि व कृषि वैज्ञानिक शामिल होंगे। जिसमे यह स्पष्टता करना चाहते हैं कि किसान प्रतिनिधि में संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
    • प्रस्ताव-2 : जहां तक किसानों को आंदोलन के वक्त के मुकदमों का सवाल है, यूपी सरकार व हरियाणा सरकार ने इसके लिए अपनी पूर्णातय सहमति दी है कि आंदोलन समाप्त करने के तत्काल ही सभी मुकदमें वापस लिए जाएंगे।
    • प्रस्ताव- 3 : अब रहा मुआवजे का सवाल, तो इसके लिए भी हरियाणा व यूपी सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। उपयुक्त दोनों विषय के संबंध में पंजाब सरकार ने भी सार्वजनिक घोषणा कर दी है।
    • प्रस्ताव-4 : वहीं जहां तक बिजली बिल का सवाल है, संसद में पेश करने से पहले सभी स्टेक होल्डर्स के इसमें अभिप्राय लिए जाएंगे।
    • प्रस्ताव-5 : जहां तक पराली के मुद्दे का सवाल है, भारत सरकार ने जो कानून पारित किया है, उसकी धारा 14 व 15 में क्रिमिनल लाइबिलिटी से किसान को मुक्ति दे  दी है।

    इधर बीते मंगलवार को किसान नेता ने बैठक के बाद कहा कि, सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा हुई है। गृह मंत्रालय से हमारे पास प्रस्ताव आया है। लेकिन एमएसपी पर कमेटी को लेकर कुछ आपत्ति है। आंदोलन वापसी की शर्त पर भी एतराज है। आंदोलन वापसी पर ही केस वापस लेने की बात की गई है। हम सरकार की इस शर्त मानने को तैयार नहीं हैं।वहीं किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि, “निर्णय बुधवार को होने वाली बैठक के बाद लिया जाएगा। अभी तक सरकार की तरफ से भेजे गए मसौदे पर पुर तरह सहमति नहीं हुई है।” 

    क्या टूटेगा SKM

    लेकिन वहीं एक अन्य किसान नेता और SKM के सदस्य ने कहा कि,  ” बुधवार को आंदोलन समाप्त होने की संभावना है क्योंकि किसानों की मांगों पर सरकार की ओर से कुछ सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली हैं।” हालांकि, आज SKMकी एक और बैठक के बाद ही अंतिम निर्णय की विधिवत घोषणा की जाएगी।