Atul Save

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    औरंगाबाद : राज्य में ओबीसी समाज (OBC Society) का राजनीतिक आरक्षण (Political Reservation) समाप्त करने का षडयंत्र रचकर ठाकरे सरकार (Thackeray Government) ने जानबूझकर न्यायालय के सामने कई गलत विवरण वाली रिपोर्ट पेश की। यह आरोप बीजेपी के प्रदेश महासचिव और विधायक अतुल सावे ( MLA Atul Save) ने लगाया।

    उन्होंने कहा कि ठाकरे सरकार के गलत नीतियों के कारण राज्य के चुनाव ओबीसी आरक्षण के बिना होने की परिस्थिति निर्माण होने से, ठाकरे सरकार की ओबीसी समाज के खिलाफ अनिच्छा खुलकर सामने आई है। अगले पांच साल तक किसी भी स्थानीय स्वराज्य संस्था में ओबीसी समाज का प्रतिनिधित्व ना रहे, इसके लिए सरकार ने बार-बार हेर-फेर करने की रणनीति अपनाई। ओबीसी  समाज के पिछड़ेपन का इंपिरिकल डेटा देने की संपूर्ण जिम्मेदारी राज्य सरकार के आयोग की थी। लेकिन, सरकार ने सवा दो साल में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का पालन किया ही नहीं। इसके विपरीत उन्होंने अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए सारे आरोप केंद्र सरकार पर मढ़ने की गंदी राजनीति की। ओबीसी समाज का राजनीतिक आरक्षण कायम रखने  के लिए आगामी दो माह में इंपिरिकल डेटा का काम पूरा करें, वह उसके बाद चुनाव का कार्यक्रम जाहिर करने की मांग विधायक सावे ने की।

    इस  कार्य के लिए भारतीय जनता पार्टी द्वारा सरकार को हर तरह की मदद करने की गवाही दी। लेकिन, राज्य सरकार के पास संपूर्ण यंत्रणा होने के बावजूद यह डाटा तैयार करने में जानबूझकर आगे बढ़ाने  की नीति अपनाते  हुए ओबीसी समाज को राजनीतिक आरक्षण देने को विरोध होने की बात खुलकर राज्य सरकार ने दिखा दी है। ठाकरे सरकार की गलत नीतियों के कारण ही ओबीसी समाज का आरक्षण राजनीति में समाप्त हुआ है। सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम  रिपोर्ट पेश करने लिए लंबा समय राज्य सरकार को मिलने  के बावजूद सरकार ने कई गलत विवरण वाली रिपोर्ट पेश की। असलियत में ठाकरे सरकार ने डेढ़ साल तक पिछड़ा आयोग की नियुक्ति नहीं की थी। इंपिरिकल डेटा तैयार न करते हुए दो साल तक फाइलों को दबाए रखकर काफी समय बरबाद किया। ओबीसी समाज के राजनीतिक पिछड़ेपन का इंपिरिकल डेटा पेश करने की सूचना सुप्रीम कोर्ट द्वारा करने के बावजूद ठाकरे सरकार ने उस ओर अनदेखी कर सवा दो साल में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सरकार ने पालन न करने का आरोप विधायक सावे ने लगाया।