सोनिया, राहुल, प्रियंका हट जाएं जी-23 नेता सामूहिक नेतृत्व के पक्ष में

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    विधानसभा चुनावों में पार्टी की करारी पराजय के बाद कांग्रेस के जी-23 गुट के सदस्यों के हौसले में फिर तेजी आ गई. बगावती तेवर दिखाने वाले ये नेता मानते हैं कि परिवारवाद के चलते कांग्रेस का नुकसान होता रहेगा, इसलिए सोनिया गांधी को अविलंब पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. साथ ही राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को भी मुख्य भूमिका से अलग हो जाना चाहिए. इसके साथ ही इन नेताओं ने पार्टी के नए अध्यक्ष के तौर पर मुकुल वासनिक की नियुक्ति को लेकर भी चर्चा की.

    जी-23 के सदस्यों ने अपनी रात्रिभोज मीटिंग में फैसला किया कि जब तक पार्टी हाईकमांड किसी सदस्य को बाहर नहीं निकालता, तब तक कोई भी सदस्य पार्टी छोड़कर नहीं जाएगा. सभी पार्टी के भीतर रहकर संघर्ष करेंगे. गुलाम नबी आजाद के घर पर हुई जी-23 समूह के नेताओं की बैठक में आजाद के अलावा कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा और मनीष तिवारी ने कहा कि वे सभी अब भी कांग्रेस पार्टी के प्रति वफादार हैं तथा उसके विरोध में कुछ नहीं कर रहे हैं. इस बैठक में परनीत कौर, रजिंदर कौर भट्टल, शशि थरूर, मणिशंकर अय्यर, पृथ्वीराज चव्हाण, भूपिंदर सिंह हुड्डा, अखिलेशप्रसाद सिंह, राज बब्बर, शंकरसिंह वाघेला, पीजे कुरियन, संदीप दीक्षित, कुलदीप शर्मा, विवेक तनखा, एमए खान ने भाग लिया.

    असंतुष्टों की मांग

    जी-23 के सदस्यों की मांग है कि एकमात्र रास्ता यही है कि कांग्रेस पार्टी सभी स्तरों पर सामूहिक व समावेशी नेतृत्व तथा सामूहिक निर्णय प्रणाली का मॉडल लागू करे. पार्टी का लोकतंत्रीकरण किया जाए. सदस्यों ने सामूहिक रूप से उन लोगों की निंदा की जो हार के लिए जिम्मेदार हैं और फिर भी उन्हें चुनाव बाद की स्थितियों का जायजा लेने और संगठनात्मक बदलाव का सुझाव देने के लिए नियुक्त किया गया है. इससे स्पष्ट होता है कि नेतृत्व किसी तरह के सुधार को लेकर जरा भी गंभीर नहीं है.

    मध्यम मार्ग अपनाया

    जी-23 नेताओं ने कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की मांग पर अधिकतम जोर नहीं दिया क्योंकि इसे बहुमत का समर्थन नहीं मिल पाता और उन्हें पार्टी में अलगाव का सामना करना पड़ता. इसीलिए उन्होंने सामूहिक नेतृत्व की मांग की जिससे निर्णयों में सभी की सहभागिता रहे. ऐसी बात कहकर उन्होंने अपने पक्ष में और समर्थन जुटाने की कोशिश की. जी-23 ने एक बयान जारी किया, जिस पर 18 नेताओं के हस्ताक्षर हैं. इसमें कहा गया है कि हमारी यह बैठक हाल के विधानसभा चुनाव के हताशाजनक नतीजों तथा हमारे नेताओं-कार्यकर्ताओं के लगातार पार्टी छोड़ने पर विचार करने के लिए हुई. हम मानकर चलते हैं कि पार्टी में सभी स्तरों पर मिलजुलकर फैसले लिए जाने चाहिए. बैठक में पहली बार शामिल हुए सदस्यों में कांग्रेस के पुराने नेता मणिशंकर अय्यर, पंजाब के पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर के अलावा शंकरसिंह वाघेला थे. वाघेला ने 2017 में कांग्रेस छोड़ दी थी और 2019 में एनसीपी में शामिल हुए थे. अब वे फिर कांग्रेस में वापसी के लिए प्रत्यनशील हैं.

    सोनिया ने आजाद से बात की

    विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की बुरी तरह पराजय के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुलाम नबी आजाद से बात की. इसे सौहार्द्रपूर्ण चर्चा बताया जाता है. ऐसे संकेत मिले हैं कि सोनिया शीघ्र ही जी-23 गुट के कुछ नेताओं को मुलाकात के लिए बुला सकती हैं. इस दौरान गांधी परिवार समर्थक नेताओं ने कपिल सिब्बल की आलोचना की है. राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जब कांग्रेस कार्य समिति अपनी हाल की बैठक में सारे मुद्दों पर चर्चा कर चुकी है तो जी-23 नेताओं को मीटिंग करने की क्या जरूरत थी? ये लोग इस तरह की बैठकें लेकर पार्टी को तोड़ना चाहते हैं.